महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले ओवैसी ने AIMIM की कमान इम्तियाज जलील को सौंपी

असदुद्दीन ओवैसी ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) महाराष्ट्र के लिए नया प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया है।सांसद इम्तियाज जलील को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Thu, 11 Jul 2019 08:22 AM (IST) Updated:Thu, 11 Jul 2019 08:39 AM (IST)
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले ओवैसी ने AIMIM की कमान इम्तियाज जलील को सौंपी
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले ओवैसी ने AIMIM की कमान इम्तियाज जलील को सौंपी

हैदराबाद, एएनआइ। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) ने महाराष्ट्र में अपना नया प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया है। एआईएमआईएम(AIMIM) ने औरंगाबाद से लोकसभा सांसद इम्तियाज जलील को महाराष्ट्र का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। पार्टी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस बात की घोषणा की।

All India Majlis-e-Ittehadul-Muslimeen (AIMIM) has appointed Lok Sabha MP from Aurangabad, Imtiaz Jaleel, its new Maharashtra state president. (File pic) pic.twitter.com/edx2KPWjrS— ANI (@ANI) July 11, 2019

ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम(AIMIM) ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में महाराष्‍ट्र में भी दावेदारी पेश की थी। इस दौरान एआईएमआईएम ने प्रकाश आंबेडकर की पार्टी के साथ गठबंधन किया था।

अक्‍तूबर 2019 में संभावित हैं विधानसभा चुनाव
महाराष्‍ट्र में अक्‍तूबर में विधानसभा चुनाव संभावित हैं। इसके लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। जहां बीजेपी ने अभी से ही पूरी गंभीरता से मजबूत प्रत्याशियों की तलाश शुरू कर दी है। वहीं, बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने राज्य के सूखाग्रस्त ग्रामीण इलाकों में वोटर्स को आकर्षित करने के लिए काम करना शुरू कर दिया है।

वहीं कांग्रेस की तरफ से भी चुनावी मीटिंग हुई हैं। इस दौरान फोकस ज्यादातर इस बात पर रहा है कि कैसे वंचित बहुजन अघाड़ी पार्टी को कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन का हिस्सा बनाया जाए। पार्टी ने सुशील कुमार शिंदे की अगुवाई में एक पैनल भी बनाया है जो इस काम को पूरा करवा सके।

पार्टी का मानना है कि प्रकाश अंबेडकर की अगुवाई वाली अघाड़ी पार्टी का साथ मिलने से उन्हें राज्य में एकमुश्त दलित वोटों का फायदा हो सकता है। हालांकि, अभी तक इसको लेकर तस्‍वीर साफ नहीं हो सकी है। हालांकि, यह बात गौर करने वाली है कि सुशील कुमार शिंदे खुद दलित वोटों को अपने पक्ष में न करने के कारण लोकसभा चुनाव हार चुके हैं।

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