जागरण फोरम: विकास यात्रा की पैमाइश पर राष्ट्रीय राजनीति के लिए अहम है क्षेत्रीय सरोकार

राजनीतिक भूमि की उर्वरता तभी फलती-फूलती है, जब क्षेत्रीय सरोकार गहरे जुड़ते हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 08 Dec 2018 09:32 PM (IST) Updated:Sat, 08 Dec 2018 09:32 PM (IST)
जागरण फोरम: विकास यात्रा की पैमाइश पर राष्ट्रीय राजनीति के लिए अहम है क्षेत्रीय सरोकार
जागरण फोरम: विकास यात्रा की पैमाइश पर राष्ट्रीय राजनीति के लिए अहम है क्षेत्रीय सरोकार

भारतीय बसंत कुमार, नई दिल्ली। जागरण फोरम के मंच पर जब राष्ट्रीय राजनीति, क्षेत्रीय सरोकार पर चर्चा शुरू हुई तो कई दृष्टांत ऐसे आए जिससे यह लगा कि क्षेत्रीय सरोकार जरूरी है। यूं तो चुनावी माहौल में सबने अपनी दलगत प्रतिबद्धता तय की, लेकिन पूरी चर्चा में अगर किसी एक सूत्र को सबने सराहा तो वह थी विकास की बात। राजनीति की दशा-दिशा जो भी हो क्षेत्र का विकास अनिवार्य शर्त है। इसके लिए क्षेत्रीय सरोकार से कोई बाधा नहीं पहुंचती बल्कि और भी घनीभूत होता है। इस विषय पर चर्चा के लिए भाजपा के महासचिव भूपेंद्र यादव, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला मंच पर उपस्थित थे।

हालांकि, आजादी के बाद से अब तक की विकास यात्रा को भी सबने अपने-अपने तरीके से नापा। चर्चा की शुरुआत तेजस्वी से हुई। तेजस्वी ने कहा कि यूपी में दो विपरीत ध्रुव के एक होने का परिणाम गोरखपुर और फूलपुर में दिख चुका है। संविधान, लोकतंत्र की रक्षा के लिए विपक्षी एकता जरूरी है। जो इसके भागीदार नहीं होंगे, उन्हें समय माफ नहीं करेगा। विषयगत चर्चा में परिवारवाद, जातिगत राजनीति और धर्म की राजनीति पर भी खूब सघन चर्चा हुई।

भूपेंद्र यादव ने राजनीति में सुशासन को महत्व दिया। बताया कि परिवार और जाति की नहीं गवर्नेस की राजनीति में भाजपा का विश्वास है। कांग्रेस में मनमोहन सिंह के कार्यकाल को अनिर्णय और भ्रष्टाचार के पोषण का काल बताया। उन्होंने विपक्षी एका पर सवाल भी खड़े किये। कहा कि यूपी में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से तालमेल किया, लेकिन मध्यप्रदेश की प्रेसवार्ता में अखिलेश के बोल बदल गए। इसी तरह कांग्रेस बंगाल में वामदल के साथ गठबंधन करती है पर केरल में विरोध। इससे वैचारिक खोखलापन उभरता है।

परिवारवाद की बात छिड़ी तो राजीव शुक्ला ने भाजपा को भी घेरा। हनुमानजी की जाति पर इन दिनों हो रही चर्चा का जिक्र किया साथ ही यह भी बताया कि परिवारवाद से या उसकी विचारधारा के पोषण से भाजपा भी अधूती नहीं है। भूपेंद्र ने यह भी जोड़ा कि सातवें दशक के बाद कांग्रेस पर परिवारवाद का जो मुलम्मा चढ़ा, उसकी परत गाढ़ी होती गई। लोहिया और जयप्रकाश जैसे लोगों ने बहुत शुरुआत में इसलिए विरोध भी किया था।

तेजस्वी ने यूं चर्चा को कई बार बिहार के संदर्भ में मोड़ा। उदाहरण रखा कि वहां की चुनावी सभाओं में किये गए वादे और बोले गए बोल भाजपा भूल गई है। देश के युवाओं को रोजगार देने, कालाधन लाकर बांटने की बातें भी पीछे छूट गई हैं। बिहार में सृजन घोटाला और शेल्टर होम जैसे कांड की चर्चा करते हुए सवाल खड़े किये। भूपेंद्र यादव ने आद्री की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए तेजस्वी को नसीहत दी कि उसे पढ़े, जिसमें बिहार के विकास का जिक्र है और यह वही संस्था है, जिसकी रिपोर्ट उनके यानी तेजस्वी के शासन काल में भी सरकारी दस्तावेज के रूप में मान्य थी।

भूपेंद्र का जोर इस बात पर था कि साढ़े चार साल के हाल के कार्यकाल में सबसे तेज विकास हुआ। चाहे वह वैश्विक स्तर पर मजबूत अर्थव्यवस्था की बात हो या आम आदमी तक जनसुविधाओं को पहुंचाने की पहल हो। मुद्रा लोन, ईज आफ डूइंग बिजनेस में 77वें पायदान पर आना, सिंचाई परियोजनाओं पर पहल आदि का उदाहरण रखा। जबकि इस विषय पर राजीव शुक्ला का मत भिन्न था।

उन्होंने कहा कि विकास की बुनियाद कांग्रेस के कार्यकाल में पड़ी। यह शाश्वत सत्य है कि कोई भी सरकार विकास की प्रक्रिया को बाधित नहीं कर सकती है। शुक्ला ने यह टिप्पणी भी कि साढ़े चार साल का श्रेय लेने की होड़ में भाजपा अपने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी भूल जाती है।

सत्र का निष्कर्ष यह कि अवधारणा और राजनीति के व्यावहारिक पक्ष, दोनों ही स्तर पर राष्ट्रीय राजनीति के लिए क्षेत्रीय सरोकार जरूरी हैं। यह भी कि देश के लिए मजबूत संघ क्षेत्रीय सरोकार का पोषक भी हो सकता है और उसे ही नियंत्रक भी होना होगा। देश के जो भी बड़े दल हैं, उनकी राजनीतिक भूमि की उर्वरता तभी फलती-फूलती है, जब क्षेत्रीय सरोकार गहरे जुड़ते हैं।

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