Pulwama Terror attack: पाकिस्‍तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए विकल्‍पों पर हो रही चर्चा

पुलवामा हमले के गुनहगारों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भले ही प्रधानमंत्री ने सुरक्षा एजेंसियों को खुली छूट दे दी है, लेकिन इन एजेंसियों के अधिकारियों की माने तो उनके पास विकल्प सीमित हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 15 Feb 2019 08:08 PM (IST) Updated:Sat, 16 Feb 2019 07:07 AM (IST)
Pulwama Terror attack: पाकिस्‍तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए विकल्‍पों पर हो रही चर्चा
Pulwama Terror attack: पाकिस्‍तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए विकल्‍पों पर हो रही चर्चा

नीलू रंजन, नई दिल्ली। पुलवामा हमले के गुनहगारों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा एजेंसियों को खुली छूट दे दी है, लेकिन इन एजेंसियों के अधिकारियों की माने तो उनके पास विकल्प सीमित हैं। उरी हमले के बाद हुए सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई के कयास जरूर लगाए जा रहे हैं, लेकिन इसकी संभावना कम दिख रही है। प्रधानमंत्री ने खुद तीनों सेनाओं के प्रमुखों और एनएसए के साथ इन विकल्पों पर विस्तार से चर्चा की।

सूत्रों के अनुसार परमाणु हथियारों से संपन्न पाकिस्तान के साथ पूर्ण युद्ध के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है। यही कारण है कि उड़ी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक का विकल्प चुना गया था और पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए काफी हद तक सफल भी रहा था। लेकिन इस बार सर्जिकल स्ट्राइक संभव नहीं है। इस बार पाकिस्तान पूरी तरह चौकन्ना है जो भारत की ओर से सैनिकों के घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम कर सकता है।

ऐसे में भारत इस बार पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में सैन्य और आतंकी ठिकानों पर सीमित हमला कर सकता है। चूंकि भारत पीओके को अपना हिस्सा मानता है और पाकिस्तान भी कश्मीर को पूरी तरह तरह अपना हिस्सा नहीं मानते हुए आजाद कश्मीर का दर्जा देता है। इसीलिए पीओके में होने वाली किसी सैन्य कार्रवाई को पाकिस्तान के लिए अपनी संप्रभुता और अपने भूभाग पर हमला साबित करना आसान नहीं होगा। दुनिया के सामने सैन्य कार्रवाई को सही ठहराने में भारत की कूटनीति जीत आसान होगी।

पीओके में पाकिस्तानी सैन्य और आतंकी ठिकानों पर सीमित हमले का दूरगामी प्रभाव भी पड़ सकता है। कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ का मुख्य रास्ता पीओके है। आतंकियों के सारे लांच पैड भी यही हैं। पीओके में मौजूद सैन्य शिविर इन आतंकी ठिकानों के लिए सुरक्षा की ढाल की तरह काम करते हैं।

एक बार यदि पीओके में इन ठिकानों पर हमला होता है, तो पाकिस्तान को न सिर्फ अपने सैन्य शिविरों की सुरक्षा की चिंता होगी, बल्कि आतंकी भी यहां सुरक्षित महसूस नहीं रहेंगे। लेकिन कब, क्या और कैसे होगा यह सब अब सुरक्षा एजेंसियों को तय करना है।

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