भारत-नेपाल सीमा का निर्धारण करने वाले 2716 सीमा स्तंभ गायब, नेपाल सरकार ने गठित किया जांच दल Gorakhpur News

भारत और नेपाल की सीमा का निर्धारण करने के लिए लगे हजारों सीमा स्तंभ गायब हो गए हैं। माना जा रहा है कि ये पत्‍थर उन्‍हीं स्‍थानों पर थे जहां भारत नेपाल में सीमा विवाद है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 04 Oct 2019 09:14 AM (IST) Updated:Sun, 06 Oct 2019 08:14 AM (IST)
भारत-नेपाल सीमा का निर्धारण करने वाले 2716 सीमा स्तंभ गायब, नेपाल सरकार ने गठित किया जांच दल Gorakhpur News
भारत-नेपाल सीमा का निर्धारण करने वाले 2716 सीमा स्तंभ गायब, नेपाल सरकार ने गठित किया जांच दल Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। भारत और नेपाल की सीमा का निर्धारण करने के लिए लगे हजारों सीमा स्तंभ गायब हो गए हैं। नेपाली गृह मंत्री ने गायब सीमा स्‍तंभ वाले स्थानों को चिह्नित करने के निर्देश जारी किया हैं। साथ ही एक विशेष जांच दल का गठन किया है जो इस बात की जांच करेगा कि सीमा स्तंभ कैसे और किन परिस्थितियों में गायब हुए।

नेपाल के गृह मंत्री ने जारी की रिपोर्ट

नेपाल के गृह मंत्री राम बहादुर थापा ने इस संबंध में काठमांडू में रिपोर्ट जारी की। जारी रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार भारत-नेपाल सीमा की कुल लंबाई 1880 किलोमीटर है। जिसमें लगाए गए कुल सीमा स्तंभों में मात्र 457 स्तंभ दुरुस्त हैं। 1556 सीमा स्तंभ अधिक क्षतिग्रस्त हैं। जबकि 2891 सीमा स्तंभ सामान्य क्षतिग्रस्त हैं। इसके अलावा 2716 सीमा स्तंभ गायब हैं। इसमें महराजगंज सीमा से सटे 44 सीमा स्‍तंभ भी शामिल हैं। नेपाल सरकार यह आशंका जता रही है स्तंभ उन्हीं स्थानों से गायब हैं, जहां भारत-नेपाल सीमा विवाद है।

इन स्थानों पर है भारत-नेपाल सीमा विवाद

नवलपरासी जिले के सुस्ता व दार्चुला जिले कालापानी स्थानों पर भारत-नेपाल सरहद का विवाद कई दशकों से है। वर्ष 2014 में भारत-नेपाल सीमा विवाद सुलझाने के लिए दोनों देश के विदेश सचिवों की टीम गठित की गई थी। जिन्हें कागजी व स्थलीय जांच के बाद सीमा विवाद सुलझाने का काम करना था, लेकिन सीमा विवाद निस्तारित नहीं हो पाया।

नेपाल भी एसएसबी की तर्ज पर बनाएगा सेना की बीओपी

सरहद से सीमा स्तंभ गायब होने के बाद नेपाल सरकार ने अपने सरहद की निगहबानी बढ़ाने का फैसला लिया है। भारतीय एसएसबी की तर्ज पर अब नेपाल भी अपने सेना की बीओपी सरहद किनारे लगाएगा। यह बीओपी विवादित स्थलों के अलावा संवेदनशील सरहद के नाकों पर स्थापित की जाएगी।

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