महिलाओं के लिए मिसाल बनीं वामिनी

एक सामान्य धारणा है कि महिलाएं अच्छे से कार नहीं चला सकतीं। बाइक चलाना उनके बस की बात नहीं है। ऐसे में महिलाओं की ड्राइविंग स्किल पर कई चुटकुले भी बने हैं। लोग महिलाओं की ड्राइविंग कौशल का मजाक उड़ाते हैं व उन्हें खराब ड्राइवर माना जाता है। इस अवधारणा को बदला है शहर के स

By Edited By: Publish:Sat, 16 Aug 2014 01:04 PM (IST) Updated:Sat, 16 Aug 2014 01:04 PM (IST)
महिलाओं के लिए मिसाल बनीं वामिनी

एक सामान्य धारणा है कि महिलाएं अच्छे से कार नहीं चला सकतीं। बाइक चलाना उनके बस की बात नहीं है। ऐसे में महिलाओं की ड्राइविंग स्किल पर कई चुटकुले भी बने हैं। लोग महिलाओं की ड्राइविंग कौशल का मजाक उड़ाते हैं व उन्हें खराब ड्राइवर माना जाता है। इस अवधारणा को बदला है शहर के सेक्टर 57 निवासी वामिनी सेठी ने। वामिनी न केवल कार रैली में विजेता रहती हैं, बल्कि वे बाइकिंग भी करती हैं। आज वे शहर के लिए इस क्षेत्र में एक जाना माना नाम हैं।

शुरुआत :

बचपन में जब उनके साथी अन्य खेलों में व्यस्त रहते थे तो वामिनी साइक्लिंग व स्टंट के बारे में सोचती रहती थीं। उन्हें ऊंची उड़ान भरने की ख्वाहिश हमेशा रहती थी। ऐसे में वे साइकिल आदि शौकिया तौर पर चलाती थीं। इसके बाद वह दिल्ली में आयोजित साइक्लोथन में हिस्सा लेने पहुंची तो देखा कि लोग अपनी बेहतरीन महंगी साइकिलों के साथ हैं व वामिनी के पास बेहद सस्ती साधारण साइकिल थी। वहां प्रोत्साहन मिला तो वामिनी के हौसले और बुलंद हो गए। इसके बाद 2010 के बाद उन्होंने इस पैशन को गंभीरता से लेना शुरू किया और फिर विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में न केवल हिस्सा लिया बल्कि विजेता भी रहीं। पहली बाइक राइड उन्होंने 25 किलोमीटर की की। वे दिल्ली साइकिलिस्ट ग्रुप से जुड़ी व जनवरी 2011 में उन्होंने अपनी पहली प्रोफेशनल साइकिल खरीदी।

माउंटेन बाइकिंग :

वामिनी माउंटेन बाइकर भी हैं। उन्होंने सबसे पहले फरीदाबाद में हुए 'फायर स्ट्रोम' प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लिया और उसमें वे द्वितीय स्थान पर रहीं। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे लगातार और कठिन प्रतिस्पर्धाओं का हिस्सा बनीं। दिल्ली आगरा रोड पर 2011 में 250 किलोमीटर की रैली में अकेली महिला साइकिलिस्ट थीं। इसके अलावा हिमालय की 550 किलोमीटर की सात दिनों की रैली में भी हिस्सा लेंगी। यह रैली मनाली से लेह तक सितंबर में होने जा रही है। दस दिनों की साइकिलिंग रैली में वामिनी को सैकड़ों लोगों में से अंतिम 19 फाइनलिस्ट के बीच चयनित किया है।

कार रैली :

वामिनी का पैशन साइकिल व बाइक तक ही सीमित नहीं है। वे कार रैलियों में भी हिस्सा लेती हैं। अब तक पांच अंतर्राज्यीय कार रैलियों में हिस्सा ले चुकी हैं।

परिवार का सहयोग :

दिल्ली से पढ़ी लिखी वामिनी को अब तक जो सफलता मिली है उसका श्रेय वे अपने पिता महेंदर सेठी व माता मनजीत सठी को देती हैं। उनके मुताबिक माता पिता व पति विनोद ने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। पेशे से एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में प्रतिष्ठित पद पर कार्यरत वामिनी परिवार के सहयोग की वजह से ही घर के दायित्वों, साइकिलिंग व जॉब के बीच सामंजस्य बिठा पाती हैं। वामिनी ने पढ़ाई के साथ- साथ मात्र 18 वर्ष की उम्र में नौकरी कर ली। पढ़ाई में अव्वल होने के कारण देश विदेश की कंपनियों में विभिन्न पदों पर कार्यरत रह चुकी वामिनी अपने पेशे से खुश हैं।

फोटोग्राफी का शौक :

वामिनी बहुआयामी प्रतिभा की धनी हैं। वे फोटोग्राफी का शौक भी रखती हैं। शौक इस कदर हावी हुआ कि उनकी इससे पहचान बढ़ती चली गई। वे विभिन्न सेलीब्रिटी पार्टी व सेलीब्रिटी जागरूकता अभियानों का फोटो शूट करती हैं। हाल ही में उन्होंने अभिनेता व मॉडल मिलिंद सोमन के कैंसर जागरूकता अभियान के साथ भी जुड़कर फोटोग्राफी की है।

समाजसेवा :

वामिनी अपने लिए जो कुछ करती हैं उसमें उन्हें सुकून तब मिलता है जब उनके किए से किसी को फायदा हो। वे कमजोर तबके के लोगों के लिए चलाई जा रही विभिन्न एनजीओ के साथ भी जुड़ी हैं। वे उत्थान एनजीओ के साथ जुड़कर असहायों की सहायता भी करती हैं। इसके अलावा वे लोगों को इन डोर साइकिलिंग भी सिखाती हैं।

(प्रियंका दुबे मेहता)

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