पुरी महोदधि तट पर शराब बेचने पर शंकराचार्य ने किया कड़ा विरोध, सरकार ने वापस लिया निर्णय

गोवा की तर्ज पर पुरी महोदधि तट में शराब की दुकानें खोले जाने का पुरी गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चचला नंद सरस्वती ने कड़ा विरोध जताया जिसके बाद सरकार ने अपने निर्णय को निरस्त कर दिया है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 11:04 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 11:04 AM (IST)
पुरी महोदधि तट पर शराब बेचने पर शंकराचार्य ने किया कड़ा विरोध, सरकार ने वापस लिया निर्णय
पुरी महोदधि तट पर शराब बेचने पर शंकराचार्य ने कड़ा विरोध किया

पुरी, जागरण संवाददाता। पुरी महोदधि तट में गोवा की तर्ज पर पांच जगहों पर समुद्र के किनारे छोटी-छोटी शराब की दुकान खोले जाने के सरकार के निर्णय का स्थानीय धार्मिक एवं सांस्कृतिक संगठनों के साथ पुरी गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चचला नंद सरस्वती द्वारा कड़ा विरोध किए जाने के बाद सरकार ने अपने निर्णय को निरस्त कर दिया है। सरकार द्वारा अपने निर्णय को वापस लिए जाने का शंकराचार्य ने स्वागत किया है।

जानकारी के मुताबिक ओडिशा सरकार ने पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पुरी, कोणार्क, गोपालपुर समुद्र के किनारे गोवा के तर्ज पर शराब की छोटी-छोटी दुकान पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय लिया था। यह बात जब पुरी शहर के लोगों को पता चली तो शहर के विभिन्न सांस्कृतिक अनुष्ठानों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री के उद्देश्य से पुरी के जिलाधीश को ज्ञापन दिया। इसके साथ ही शंकराचार्य से इसमें हस्तक्षेप करने की गुहार लगायी।

 सरकार के इस निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए जगत गुरू शंकराचार्य ने कहा कि श्रीजगन्नाथ पुरी एक भगवद् धाम है और पुरूषोत्तम महोदधि तीर्थ क्षेत्र है। राज्य सरकार द्वारा तपोभूमि पुरी के समुंद्र तट पर पांच स्थानों पर शराब बेचकर तीर्थ भूमि को पर्यटन विकास के नाम पर सुरा और सुन्दरी का केन्द्र नहीं बनने दिया जाएगा। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने राज्य प्रशासन को चेतावनी दी थी कि इस निर्णय को तुरन्त निरस्त किया जाए अन्यथा अगर बलपूर्वक तपोभूमि में शराब का व्यापार करने का निर्णय क्रियान्वयित किया गया तो सरकार का अस्तित्व ख़तरे में आ सकता है। अब पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद्जगद्गुरू शंकराचार्य जी के निर्देशानुसार राज्य प्रशासन ने पुरी महोदधि तट पर शराब बेचने के अपने निर्णय को निरस्त कर दिया है। शंकराचार्य जी ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा सभी के हित में लिए गया यह निर्णय स्वागत योग्य है।

 गौरतलब है कि पूज्यपाद पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य जी के ह्रदय में सागर और सागर तट को सुरक्षित रखने की भावना से नित्य सायंकाल स्वर्गद्वार- पुरी में सागर आरती का पौष शुक्ल पूर्णिमा, विक्रमसम्वत् 2063 तदानुसार 3 जनवरी 2007 के दिन आदित्यवाहिनी, आनन्दवाहिनी तथा पीठ परिषद् के अमोघ अभियान से तथा सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के पूर्ण सौजन्य से शाम 6:30 बजे ओडिशा विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष महेश्वर महांती, जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज आदि प्रमुख संतों तथा नगरपालिका पुरी के अध्यक्ष गौरहरि एवं पुरी-नरेश गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव के मंगलमय सान्निध्य में हजारों दर्शकों की उपस्थिति में शुभारंंभ हुुुुआ था। तभी से लेकर आज तक यह आरती कार्यक्रम संतत् एवं निर्बाध गति-रीति से प्रतिदिन शाम के समय चल रही है। इस कार्य के सम्पादन के लिए प्रतिवर्ष लाखों रूपये गोवर्द्धन मठ खर्च करता है। विश्वास है कि परस्पर सामंजस्य का यह वातावरण भविष्य में भी बना रहेगा।

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