भारत-पाक बनें अच्छे पड़ोसी, लेकिन कश्मीर बिना बातचीत संभव नहींः नवाज

पाकिस्तान ने एक बार फिर से कश्मीर का राग अलापा है। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक में फैसला किया गया है कि कश्मीर मुद्दे को एजेंडे में शामिल किए बिना वह भारत के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू नहीं करेगा।

By anand rajEdited By: Publish:Sat, 10 Oct 2015 05:39 PM (IST) Updated:Sat, 10 Oct 2015 06:25 PM (IST)
भारत-पाक बनें अच्छे पड़ोसी, लेकिन कश्मीर बिना बातचीत संभव नहींः नवाज

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को अच्छे पड़ोसी की तरह रहना चाहिए। हालांकि उन्होंने कश्मीर का राग भी अलाप डाला। शरीफ ने कहा कि उन्होंने साहस के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ में कश्मीर के मुद्दे को उठाया और भारत से रिश्तों में बेहतरी के लिए कुछ प्रस्ताव भी दिए थे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस मसले पर सरकार और सेना का मत एक है। बैठक से पहले सेनाध्यक्ष जनरल राहील शरीफ ने नवाज शरीफ से मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक पीएम और सेना प्रमुख कश्मीर मसले के बिना भारत से बातचीत नहीं करने पर सहमति जताई। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि कश्मीर मुद्दे को अप्रासंगिक बनाने की रणनीति के तहत भारत इसे एजेंडे में शामिल नहीं करना चाहता, लेकिन पाकिस्तान कश्मीरियों को धोखा नहीं दे सकता है। कश्मीर के बगैर भारत से वार्ता की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती है। बैठक में सीमावर्ती इलाकों में आतंकियों की गतिविधियों पर निगाह रखने के लिए अफगानिस्तान की मदद करने का भी निर्णय लिया गया है।

शरीफ ने कहा कि वो हमेशा से भारत के साथ बेहतर रिश्ते में यकीन करते हैं। लेकिन कश्मीर के मुद्दे पर सार्थक बातचीत की जरूरत है।उन्होंने कहा कि कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव था ना कि पाकिस्तान का। लिहाजा संयुक्त राष्ट्र को इस मुद्दे पर दखल देना चाहिए।

पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र संघ में अपने चार प्रस्तावों के बारे में शरीफ ने कहा कि वो चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों की बेहतरी के लिए भारत सरकार कश्मीर से सेना को वापस बुलाए, बिना किसी शर्त के सियाचिन से भारतीय सेना की वापसी हो। साथ ही आपसी बातचीत को दोबारा शुरू किया जाए और भारत पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सीजफायर हो।

अफगानिस्तान में शांति बहाली जरूरी-शरीफ

पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान सरकार अफगानिस्तान के साथ संबंधों को और मजबूती के साथ आगे बढ़ा रही है। हमने तालिबान से वार्ता के लिए पूरी कोशिश की लेकिन मुल्लाउमर की मौत की खबर से हमारे प्रयासों को धक्का लगा। शरीफ ने कहा कि वो नहीं जानते कि मुल्ला उमर की मौत के दो साल बाद ये खबर सामने आयी। जब पाकिस्तान अफगानिस्तान में सरकार और विरोधी गुटों को एक साथ करने में जुटी हुई थी। पाकिस्तान सरकार अभी भी इस कोशिश में जुटी है कि अफगानिस्तान सरकार और तालिबान वार्ता के लिए एक दूसरे के करीब आएं।


शरीफ ने अपनी कामयबियों को गिनाते हुए कहा कि 2018 में होने वाले आम चुनाव में उनकी पार्टी दोबारा सरकार बनाएगी। पाकिस्तान की जनता उनकी सरकार की कामकाज से खुश है। उनकी सरकार ने पाकिस्तान में आधारभूत संरचना लोगों के सामाजिक विकास के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि 2013 में चुनाव में धांधली के आरोप में न्यायिक आयोग की जांच के बाद उन्होंने पद से हटने का मन बना लिया था और अगर मेरे खिलाफ रिपोर्ट आई होती तो मैं पद छोड़ देता।

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