.. मौत के 76 साल बाद गालाजिक को नसीब हुआ कब्र
फायरमैन माइकेल गालाजिक का दुर्भाग्य कहेंगे या सौभाग्य कि मौत के 76 साल बाद उनके शव को अंतत: कब्र नसीब हुआ।
वाशिंगटन (प्रेट्र)। इसे फायरमैन माइकेल गालाजिक का दुर्भाग्य कहेंगे या सौभाग्य कि मौत के 76 साल बाद उनके शव को अंतत: कब्र नसीब हुआ। वह ऐसे ऐतिहासिक घटनाक्रम के शिकार हुए थे जो बाद में दूसरे विश्वयुद्ध की शक्ल बदलने का कारण बना।
सात दिसंबर, 1941 को पर्ल हार्बर पर हुए जापानी हमले में उनका युद्धपोत यूएसएस ओकाहोमा डूब गया था। उस समय गालाजिक महज 25 साल के थे। उस जापानी हमले में अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर तैनात 2,400 लोग मारे गए और कई जहाज बर्बाद हो गए थे। इस हमले के बाद अमेरिका भी विश्वयुद्ध में शामिल हो गया। 1945 में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर परमाणु बम के हमले किये, जो विश्वयुद्ध में निर्णायक साबित हुए। उन हमलों से जापान की कमर टूट गई और अंतत: उसकी हार हुई।
70 वाहनों के काफिले के साथ निकली शवयात्रा, 21 बंदूकों की सलामी दी गई
डूबे हुए यूएसएस ओकाहोमा से मिले लाशों के अवशेषों की पहचान शुरू हुई। क्षत-विक्षत शवों को सुरक्षित रखकर उनकी पहचान के लिए दशकों तक जांच चलीं। जैसे-जैसे तकनीक का विकास हुआ, वैसे-वैसे पहचान स्पष्ट होती गई। सन 2009 में नई तकनीक आने के बाद इसमें और सहायता मिली। कई तरह के डीएनए टेस्ट हुए। सन 1993 में गालाजिक की मां अन्ना उसके शव को देखने की इच्छा लिये हुए ही इस दुनिया से विदा हो गईं। ऐसा ही कुछ शहीद सैनिक की बहन के साथ भी हुआ। पहचान पुष्ट हो जाने पर शनिवार को इलिनॉइस के जोलिएट स्थित घर के नजदीक पूरे सैनिक सम्मान के साथ गालाजिक का अंतिम संस्कार किया गया। 70 वाहनों और मोटरसाइकिलों के काफिले के साथ शवयात्रा निकाली गई। इस दौरान उन्हें 21 बंदूकों की सलामी दी गई। शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए दूर-दूर से लोग आए।