चीन में चिनफिंग को मिला माओ जैसा दर्जा

चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग को कोर लीडर (सर्व प्रमुख नेता) का दर्जा दिया है। इससे वे पार्टी संस्थापक माओत्से तुंग की कतार में खड़े हो गए हैं

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Fri, 28 Oct 2016 12:37 AM (IST) Updated:Fri, 28 Oct 2016 01:02 AM (IST)
चीन में चिनफिंग को मिला माओ जैसा दर्जा

बीजिंग, रायटर : चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग को कोर लीडर (सर्व प्रमुख नेता) का दर्जा दिया है। इससे वे पार्टी संस्थापक माओत्से तुंग की कतार में खड़े हो गए हैं। हालांकि उन्हें माओ की तरह अधिकार नहीं मिल पाया है, क्योंकि पार्टी ने सामूहिक नेतृत्व से ही आगे बढ़ने का फैसला किया है।

केंद्रीय समिति के 370 पूर्णकालिक और वैकल्पिक सदस्यों की गुरुवार को समाप्त हुई चार दिवसीय बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक में पार्टी के भीतर राजनीतिक जीवन से जुड़े नियमों में बदलाव भी किया गया। बंद कमरे में हुई इस बैठक का विस्तार से विवरण आने में अभी कुछ दिनों का वक्त लग सकता है।

बैठक के बाद जारी बयान में बताया गया है कि 1981 के सामूहिक नेतृत्व के नियम में बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया है। इसमें कहा गया है कि सामूहिक नेतृत्व के नियम का किसी भी परिस्थिति और किसी भी कारण से कोई व्यक्ति उल्लंघन नहीं कर सकता। कोर लीडर होने के कारण पार्टी के सभी सदस्य और स्थायी समिति अब शी के पीछे एकजुट होगी।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार कोर लीडर बनने से शी की पार्टी पर पकड़ और मजबूत हो गई है। उन्हें यह दर्जा ऐसे वक्त में मिला है जब अगले साल पार्टी कांग्रेस होनी है। पांच साल पर होने वाली कांग्रेस में ही स्थायी समिति के सात सदस्यों का चयन किया जाता है। चीन में इस समिति को सत्ता का शिखर माना जाता है।

ऐसे में अब शी के लिए समिति में अपने समर्थकों को लाना आसान हो गया है। राजनीतिक विशलेषक झांग लिफान के अनुसार कोर लीडर का दर्जा मिलने से शी की जवाबदेही भी बढ़ गई है। अर्थव्यवस्था में गिरावट जारी रहने, समाज में मतभेद गहराने पर उनकी भूमिका बढ़ जाएगी।

गौरतलब है कि कोर लीडर शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल देंग जियाओपिंग ने किया था। उन्होंने अपने अलावा माओ और जियांग जेमिन के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया था। उनका मतलब ऐसे नेता से था जो सर्वशक्तिमान हो और जिसके फैसलों पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। 1978-89 तक देंग सत्ताधारी दल के सर्वोच्च नेता थे।

..तो हो जाते सर्वशक्तिमान

शी को माओ जैसा दर्जा दिलाने के प्रयास सालभर से किए जा रहे थे। उनके समर्थक सोवियत संघ के विघटन का हवाला देकर 1981 के नियम में बदलाव की पैरवी कर रहे थे। साथ ही उनके भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का भी गुणगान किया जा रहा था।

इस अभियान के तहत पार्टी के करीब आठ करोड़ 90 लाख सदस्यों में से 10 लाख से ज्यादा दंडित किए जा चुके हैं। 1981 के नियम में बदलाव होने पर शी सर्वशक्तिमान हो जाते और उन्हें हर फैसले पर वीटो का अधिकार होता।

तीसरे कार्यकाल की कोशिश

नवंबर 2012 में शी पार्टी महासचिव और इसके अगले साल राष्ट्रपति बने थे। वे सेना की तीनों इकाइयों पर नियंत्रण रखने वाली केंद्रीय सैन्य आयोग के प्रमुख भी हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि कोर लीडर का दर्जा मिलने के बाद 63 वर्षीय शी राष्ट्रपति के तीसरे कार्यकाल की भी कोशिश कर सकते हैं। या फिर वे पार्टी के भीतर ऐसे पद का सृजन करेंगे जो महासचिव और राष्ट्रपति से ऊपर हो। मौजूदा नियमों के अनुसार शी 2022 तक राष्ट्रपति रह सकते हैं।

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