अमेरिका से आजाद हुआ इंटरनेट, अब पारदर्शिता बढ़ेगी

इंटरनेट की खोज अमेरिका में ही हुई थी और 1988 से ही कमोबेश इस पर उसका नियंत्रण रहा है। टेक्सास संघीय अदालत ने एरिजोना, टेक्सास, नेवादा और ओकलाहोमा सरकार की याचिका खारिज करते हुए इसका रास्ता साफ कर दिया था।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Sun, 02 Oct 2016 01:12 AM (IST) Updated:Sun, 02 Oct 2016 03:12 AM (IST)
अमेरिका से आजाद हुआ इंटरनेट, अब पारदर्शिता बढ़ेगी

वाशिंगटन, रायटर। इंटरनेट की दुनिया से अमेरिका का नियंत्रण खत्म हो गया है। इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइंड नेम्स एंड नंबर्स (आइसीएएनएन) के साथ अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय का अनुबंध शनिवार को समाप्त हो गया। इस बदलाव से इंटरनेट की दुनिया में पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है।

इंटरनेट की खोज अमेरिका में ही हुई थी और 1988 से ही कमोबेश इस पर उसका नियंत्रण रहा है। सीनेटर टेड क्रूज के नेतृत्व में सांसदों और अधिकारियों का एक धड़ा आइसीएएनएन की आजादी का विरोध कर रहा था। लेकिन, शुक्रवार को टेक्सास संघीय अदालत ने एरिजोना, टेक्सास, नेवादा और ओकलाहोमा सरकार की याचिका खारिज करते हुए इसका रास्ता साफ कर दिया था। इन प्रांतों की सरकार का कहना था कि आइसीएएनएन को नियंत्रण मुक्त करना असंवैधानिक है और इसके लिए कांग्रेस की मंजूरी जरूरी है। आइसीएएनएन के नियंत्रण मुक्त होने से सामान्य इंटरनेट उपभोक्ता सीधे तौर पर प्रभावित नहीं होंगे। पर इंटरनेट के भविष्य की तकनीकों और नीतियों पर इसका व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा।

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कंप्यूटर एंड कम्युनिकेशन इंडस्ट्री एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी एड ब्लैक के अनुसार यह बदलाव प्रतीकात्मक है। लेकिन, इंटरनेट की दुनिया में स्थायित्व, पारदर्शिता के लिहाज से यह महत्वपूर्ण कदम है। इसका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। आइसीएएनएन?कैलिफोर्निया स्थित आइसीएनएन इंटरनेट का एड्रेस सिस्टम संभालती है। सीधे शब्दों में कहें तो डोमेन नेम उपलब्ध कराना इसी संगठन का काम है। इसका गठन अमेरिका ने 90 के दशक में किया था। मकसद इंटरनेट को संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर सरकारी संगठन की निगरानी से मुक्त रखना था। इसे नियंत्रण मुक्त करने की औपचारिक कवायद मार्च 2014 से शुरू हुई थी।

अब क्या?

आइसीएएनएन में भी कई कमियां है। पर उसने दिखाया है कि कई पक्षों की भागीदारी वाले मॉडल से इंटरनेट एड्रेस की उलझन भरी समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। अमेरिकी सरकार का एकाधिकार खत्म होने के बाद इसमें शिक्षाविद, विशेषज्ञ, नेटवर्क ऑपरेटर, निजी कंपनियां, उपभोक्ता, सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों का दखल बढ़ेगा।

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