एच-1बी वीजा में बदलाव से भारतीय आइटी कंपनियां होंगी प्रभावित

वाशिंगटन। अमेरिकी वर्क वीजा के बाद सर्वाधिक मांग वाले एच-1बी वीजा में प्रस्तावित संशोधनों से इन पर निर्भर भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां बुरी तरह प्रभावित होंगी।

By Edited By: Publish:Wed, 17 Apr 2013 04:11 PM (IST) Updated:Wed, 17 Apr 2013 04:51 PM (IST)
एच-1बी वीजा में बदलाव से भारतीय आइटी कंपनियां होंगी प्रभावित

वाशिंगटन। अमेरिकी वर्क वीजा के बाद सर्वाधिक मांग वाले एच-1बी वीजा में प्रस्तावित संशोधनों से इन पर निर्भर भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां बुरी तरह प्रभावित होंगी।

व्यापक आव्रजन सुधार [सीआइआर] के तहत संशोधनों से उन कंपनियों के लिए एच-1बी वीजा के इस्तेमाल पर रोक लगेगी जिनके पास इस श्रेणी के तहत श्रम शक्ति का उच्च अनुपात है। ज्यादातर भारतीय कंपनियां इस वर्गीकरण के अंतर्गत आएंगी। अगर प्रस्तावित संशोधित मसौदे को अमेरिकी संसद की मंजूरी मिल जाती है और राष्ट्रपति बराक ओबामा इस पर हस्ताक्षर कर देते हैं तो कानून बन जाएगा। फिर कंपनियों को एच-1बी वीजा हासिल करने के लिए ज्यादा फीस भी चुकानी होगी।

बार्डर सिक्योरिटी, इकोनामिक अपारच्युनिटी एंड इमीग्रेशन मार्डिनाइजेशन एक्ट 2013 के मुताबिक एच-1बी प्रणाली का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अमेरिका कार्रवाई करेगा। प्रस्तावित मसौदे के अनुसार यदि नियोक्ता के पास 50 या इससे अधिक कर्मचारी हों और इनमें 30 प्रतिशत से ज्यादा, लेकिन 50 प्रतिशत से कम एच-1बी वीजा या एल-1 धारक कर्मचारी हों [जिनकी ग्रीन कार्ड याचिका लंबित न हो] तो नियोक्ता को प्रति अतिरिक्त कर्मचारी पांच हजार डॉलर [करीब 2.69 लाख रुपये] का भुगतान करना होगा। इसके अलावा यदि नियोक्ता के पास 50 या अधिक कर्मचारी हों और इनमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा एच-1बी या एल-1 कर्मचारी हों जिनकी ग्रीन कार्ड याचिका लंबित न हो तो कंपनियों को प्रति अतिरिक्त कर्मचारी 10,000 डॉलर का अतिरिक्त भुगतान करना होगा। इस तरह नामी भारतीय आइटी कंपनियों जैसे टीसीएस, विप्रो और इंफोसिस को प्रति अतिरिक्त एच-1बी कर्मी के लिए 10 हजार डॉलर का भुगतान करना होगा। इन तीनों कंपनियों के मुख्यालय भारत में है और इनके कार्यालय अमेरिका में भी हैं। इन प्रावधानों से यह कंपनियां बेहद प्रभावित होंगी। अमेरिका आइटी, मेडिकल व फाइनेंस जैसे विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में एच1बी वीजा जारी करता है। वहीं एल1 वीजा पीएचडी जैसे उच्च विशेषज्ञ डिग्रीधारक व्यक्तियों को जारी किए जाते हैं।

प्रस्तावित मसौदे में यह भी कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2014 में अगर नियोक्ता के 75 प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारी एच1बी या एल1 कर्मी होंगे तो वह इस श्रेणी के अतिरिक्त कर्मचारी नहीं बुला सकेगा। इसके अलावा नियोक्ता को एच-1बी आवेदक को नौकरी पर रखने के एक महीना पहले इसका विज्ञापन श्रम मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित करना होगा।

कुछ प्रावधानों का भारतीयों ने किया स्वागत

वाशिंगटन। अमेरिका में भारतीय पेशेवरों ने प्रस्तावित मसौदे के कुछ प्रावधानों का स्वागत किया है। प्रावधान के तहत एच-1बी वीजा धारकों को मौजूदा नौकरी गंवाने पर नई नौकरी ढूंढ़ने के लिए दो महीने का समय देगा। जबकि मौजूदा प्रावधानों के तहत आइटी पेशेवरों को नौकरी गंवाने पर उसी दिन देश छोड़ना होता है। इसके अलावा एच-1बी वीजा का कोटा 65 हजार से बढ़ाकर एक लाख 10 हजार करने का प्रस्ताव है। बाजार की मांग पर इसे बढ़ाकर 1.8 लाख भी किया जा सकता है।

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