ब्रिटिश ज्वैलर्स ने हॉलमार्क के खिलाफ छेड़ा अभियान

ब्रिटेन में 90 फीसदी ज्वैलरी विदेश से आयात होती है। इसमें ज्यादातर ज्वैलरी भारत से मंगाई जाती है।

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Wed, 31 Aug 2016 01:47 AM (IST) Updated:Wed, 31 Aug 2016 06:52 AM (IST)
ब्रिटिश ज्वैलर्स ने हॉलमार्क के खिलाफ छेड़ा अभियान

लंदन। ब्रिटेन के मेटल मूल्यांकनकर्ता द्वारा भारत में ऑफिस खोले जाने के बाद वहां के ज्वैलर्स ने प्रसिद्ध ट्रेडमार्क यानी हॉलमार्क इस्तेमाल किये जाने के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। बरमिंघम एसे ऑफिस ने इस साल मुंबई में अपना ऑफिस खोला है। यहां ज्वैलरी के सर्टिफिकेशन के साथ हॉलमार्क लगाया जाता है। वह इसी तरह का ऑफिस जयपुर में भी खोलने की योजना बना रही है।

दरअसल ब्रिटेन में 90 फीसदी ज्वैलरी विदेश से आयात होती है। इसमें ज्यादातर ज्वैलरी भारत से मंगाई जाती है। भारत में ब्रिटिश एसेइंग सेंटर न होने के कारण निर्यातकों को ज्वैलरी टेस्टिंग और हॉलमार्किंग के लिए ब्रिटेन भेजनी होती थी और वापस मंगाकर दुबारा निर्यात करनी होती थी।

इसी दोहरे परिवहन और इसके खर्च से बचाने के लिए बरमिंघम एसे ऑफिस ने भारत में अपना ऑफिस खोला है। लेकिन वहां के ज्वैलर्स का कहना है कि ब्रिटेन के बाहर हॉलमार्किंग उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी है। बरमिंघम के कुछ ज्वैलर्स ने ब्रिटिश सरकार की वेबसाइट पर ऑनलाइन पिटीशन शुरू की है। इसे 1500 लोगों का समर्थन मिल गया है।

अगर 26 जनवरी 2017 तक दस हजार लोगों का समर्थन मिल गया तो सरकार को इस पर जवाब देना होगा और अगर एक लाख लोगों का समर्थन मिल गया तो हाउस ऑफ कॉमंस में इस पर संसदीय बहस होगी। वर्ष 2013 में दूसरे देशों में एसेइंग के लिए सब-ऑफिस खोलने की अनुमति दी गई थी। ब्रिटिश ज्वैलर्स की मांग है कि करीब सात सौ साल पुराने हॉलमार्क का इस्तेमाल दूसरे देशों में नहीं किया जाना चाहिए।

इसके साथ ऑफशोर शब्द जोड़ना चाहिए। हालांकि ब्रिटिश हॉलमार्किंग काउंसिल ने कहा है कि विदेश में ब्रांच खोलने की अनुमति दी गई है। इसमें विदेशी ब्रांच के हॉलमार्क में कोई भेद करने की भी कोई व्यवस्था नहीं है।

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