World Tiger Day: देश में बाघों की सही संख्या आज आएगी सामने, पीएम मोदी जारी करेंगे रिपोर्ट

इससे पहले बाघों की गणना को लेकर 2006 2010 और 2014 में रिपोर्ट जारी हो चुकी है। देश में बाघों के संरक्षण का काम राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की देखरेख में चल रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 28 Jul 2019 08:48 PM (IST) Updated:Mon, 29 Jul 2019 07:58 AM (IST)
World Tiger Day: देश में बाघों की सही संख्या आज आएगी सामने, पीएम मोदी जारी करेंगे रिपोर्ट
World Tiger Day: देश में बाघों की सही संख्या आज आएगी सामने, पीएम मोदी जारी करेंगे रिपोर्ट

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विश्व बाघ दिवस के मौके पर देश को बाघों को लेकर बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। इस दौरान बाघों की बढ़ी और सही संख्या की जानकारी सामने आ सकती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को देश भर में बाघों को लेकर कराई गई गणना से जुड़ी रिपोर्ट जारी करेंगे। इसका काम 2018 से ही चल रहा था, जो हाल ही में पूरा हुआ है।

इससे पहले बाघों की गणना को लेकर 2006, 2010 और 2014 में रिपोर्ट जारी हो चुकी है। देश में बाघों के संरक्षण का यह काम राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की देखरेख में ही चल रहा है।

बाघों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए एक दिन बाघों के नाम समर्पित किया जाता है। बता दें कि पूरे विश्व में बाघों की तेजी से घटती संख्या के प्रति संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने को लेकर प्रति वर्ष 29 जुलाई को ‘वर्ल्ड टाइगर डे’ मनाया जाता है। इस दिन विश्व भर में बाघों के संरक्षण से सम्बंधित जानकारियों को साझा किया जाता है और इस दिशा में जागरुकता अभियान चलाया जाता है।

वर्ष 2010 से ‘वर्ल्ड टाइगर डे’ की शुरूआत की गई थी। वर्ष 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में बाघ सम्मेलन में बाघों के सरंक्षण के लिए पति वर्ष ‘अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस’ मनाने का निर्णय लिया गया। तब से प्रति वर्ष दुनिया भर में वर्ल्ड टाइगर डे मनाया जाता है। इस सम्मेलन में 13 देशों ने हिस्सा लिया था और उन्होंने 2022 तक बाघों की तादाद में दोगुनी बढ़ोत्तरी का लक्ष्य रखा गया था।

जंगलों के कटान और अवैध शिकार की वजह से बाघों की संख्या तेज़ी से कम हो रही है। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड और ग्लोबल टाइगर फोरम के 2016 के आंकड़ों के अनुसार, पूरी दुनिया में तक़रीबन 6000 बाघ ही बचे हैं जिनमें से 3891 बाघ भारत में मौजूद हैं। पूरी दुनिया में बाघों की कई किस्म की प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें 6 प्रजातियां प्रमुख हैं। इनमें साइबेरियन बाघ, बंगाल बाघ, इंडोचाइनीज बाघ, मलायन बाघ, सुमात्रा बाघ और साउथ चाइना बाघ शामिल हैं।

उत्तराखंड भारत के बाघों की राजधानी के रूप में उभर रहा है। उत्तराखंड के हर जिले में बाघों की उपस्थिति पायी गयी है। वन विभाग के साथ-साथ राज्य सरकार इन अध्ययनों से काफी उत्साहित है और केन्द्र सरकार को इस संबंध में रिपोर्ट भेजेगी। उत्तराखंड में 1995 से 2019 के बीच किये गये विभिन्न शोधों व अध्ययनों से इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया है। इस दौरान विभिन्न डब्ल्यूआईआई के रिपोर्टों के अलावा विभिन्न समय में लगाये गये कैमरा ट्रेपों व मीडिया रिपोर्टों को आधार बनाया गया है।

वन कर्मचारियों और ग्रामीणों द्वारा बाघों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष साक्ष्य जैसे पगमार्क, चिन्ह इत्यादि को भी आधार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि भौगालिक रूप से देखा जाय तो उत्तराखंड उच्च हिमालय, मध्य हिमालय के अलावा तराई के मैदानी हिस्सों में बंटा हुआ है। खास बात यह है कि इन तीनों हिस्सों में बाघों की उपस्थिति के संकेत मिले हैं।

प्रदेश के दो गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में 13 जिले मौजूद हैं और सभी में बाघों की उपस्थिति दर्ज की गयी है। उत्तराखंड देश का अकेला ऐसा राज्य बन गया है। देश में उत्तराखंड के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र व राजस्थान ही ऐसे राज्य हैं जहां बाघ की उपस्थिति दर्ज की गयी है।

उत्तराखंउ में हर जिले में बाघ की उपलब्धता पायी गयी है। यह न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिये उत्साहित करने वाली खबर है।

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