एक्सपर्ट की जुबानी जानें- भारत की बनाई असाल्ट राइफल्स को क्यों एके 203 से रिप्लेस करने की पड़ी जरूरत
भारत के सुरक्षा कर्मियों के हाथों में जल्द ही एके 203 असाल्ट राइफल्स होगी। इससे उन्हें मजबूती मिलेगी और ताकत भी बढ़ेगी। भारत में बनाई गई असाल्ट राइफल्स इन्सास को ये रिप्लेस कर देगी। इसकी जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी।

नई दिल्ली (जेएनएन)। भारत और रूस के रिश्तों के लिए सोमवार का दिन बेहद खास हो गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जहां पीएम नरेंद्र मोदी से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात होगी वहीं दोनों देशों के बीच करीब दस समझौतों पर अंतिम मुहर भी लग जाएगी। आपको बता दें कि रूस हमेशा से ही भारत के मुश्किल दिनों में भी पूरा साथ देता रहा है। यही वजह है कि वर्षों से दोनों के बीच रिश्तों की गरमाहट हमेशा बरकरार बनी रही है। इसकी बानगी आज दिल्ली में देखी भी जा सकती है।
हालांकि भारत और रूस के रिश्तों की बात करें तो शुरुआत से ही इन रिश्तों को तरजीह दी गई है। हर सरकार ने रूस को अपना सबसे बड़ा हितैषी और करीबी मानते हुए उससे नए और मजबूत संबंधों को आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश की है। दोनों के संबंधों को इस तरह से भी समझा जा सकता है कि एके-47 के बाद भारत में अब रूस की एके 203 असाल्ट राइफल्स को भी बनाने को सरकार मंजूरी दे चुकी है। इनका निर्माण उत्तर प्रदेश के कोरवा (अमेठी) में होगा।
भारत में बनने वाली ये AK-203 असाल्ट राइफल्स बेहद खास हैं। इनसे देश में रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा। बता दें कि देश में करीब पांच लाख AK-203 राइफल्स का निर्माण किया जाएगा जो INSAS राइफल की जगह लेगी। इस बारे में रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी का कहना है कि ये राइफल्स एके 47 जो, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बनाई गई थी, से काफी हल्की है और इसका निशाना भी बेहद अचूक है।
जनरल बख्शी के मुताबिक इनसास को रिप्लेस करने की कोशिश करीब डेढ़ दशक पुरानी है। इसकी वजह ये है कि जो असाल्ट राइफल्स भारत में बनाई गई वो इतनी बढि़या नहीं रहीं। एके 47 और इसके उन्नत एके 203 के मुकाबले काफी कमजोर थीं। इनमें कई तरह की खामियां भी थीं। प्लास्टिक का हत्था, ग्रीस की लीकेज, गोली का फंसना समेत कई तरह की कमियां थीं। इन वजहों से सेना और दूसरे सुरक्षाबलों को इनसे समस्या होती थी। यही वजह है कि इसको रिप्लेस करने की मांग की गई थी। अब ये मांग पूरी हो रही है।
भारत रूस से करीब 70000 राइफल्स बनी बनाई खरीदेगा और बाकी का निर्माण भारत में ही होगा। इससे सुरक्षाबलों को भी मजबूती मिलेगी। वजन में हल्की होने की वजह से जवानों को भी इसको कैरी करने में मदद मिलेगी। खास बात ये है कि एके 203 राइफल्स हाई और लो एल्टीट्यूट में एक जैसा ही काम करती है। ये काफी बेहतर है।
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