मॉब लिंचिंग की घटनाएं रोकने के लिए आपने क्या किया, कन्हैया लाल के मामले में क्या हुआ? सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से पूछे तीखे सवाल
याचिका में अनुरोध किया गया था कि राज्यों को कथित गोरक्षकों द्वारा मुसलमानों के खिलाफ मॉब लिंचिंग की घटनाओं से निपटने के लिए शीर्ष अदालत के 2018 के एक फैसले के अनुरूप तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाए। पीठ ने आदेश दिया कि हमने पाया है कि अधिकतर राज्यों ने मॉब लिंचिंग के उदाहरण पेश करने वाली रिट याचिका पर अपने जवाबी हलफनामे दाखिल नहीं किए हैं।
HighLights
- कोर्ट ने राज्यों को हलफनामा दाखिल करने के लिए छह माह का दिया समय।
- नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन वूमन ने मॉब लिंचिंग मामले में दाखिल की है याचिका।
- कोर्ट ने पूछा हाथापाई में शामिल लोगों के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गई।
पीटीआई, नई दिल्ली। जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को मॉब लिंचिंग पर सुनवाई के दौरान उदयपुर के टेलर कन्हैया लाल का मामला उठा। कोर्ट ने विभिन्न राज्य सरकारों से मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर कार्रवाई की मांग कर रहे जनहित याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि राजस्थान में टेलर (कन्हैया लाल) के मामले में क्या हुआ?
जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस याचिका में वह मामला शामिल नहीं है तो कोर्ट ने उनसे कहा कि मॉब लिंचिंग के मामलों को उजागर करने के दौरान उन्हें सेलेक्टिव नहीं होना चाहिए। वह भी तब जबकि सारे राज्य यहां मौजूद हैं। इसके बाद कोर्ट ने राज्यों को छह सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि मॉब लिंचिंग की घटनाएं रोकने के लिए उन्होंने क्या किया है?
हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों को नोटिस जारी
बता दें कि 2022 में भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा का विवादित पोस्ट इंटरनेट मीडिया पर कथित तौर पर साझा करने पर राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैया लाल की हत्या कर दी गई थी। शीर्ष अदालत भाकपा से जुड़े संगठन नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन वूमन की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पिछले साल केंद्र सरकार, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश तथा हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों को नोटिस जारी किए गए थे और याचिका पर उनके जवाब मांगे गए थे। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश वकील निजाम पाशा ने कहा कि मध्य प्रदेश में मॉब लिंचिंग की एक घटना हुई थी लेकिन पीड़ितों के खिलाफ गोहत्या की प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
विश्लेषण के बिना गोहत्या की FIR कैसे दर्ज की गई ?
उन्होंने कहा कि अगर राज्य मॉब लिंचिंग की घटना से इन्कार कर देगा तो तहसीन पूनावाला मामले में 2018 के फैसले का अनुपालन कैसे होगा?पूनावाला मामले में शीर्ष अदालत ने गौरक्षकों और भीड़ द्वारा हत्या की घटनाओं को रोकने के लिए राज्यों को कई निर्देश जारी किए हैं। पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील से भी सवाल किया कि मांस के रासायनिक विश्लेषण के बिना गोहत्या की एफआइआर कैसे दर्ज की गई और हाथापाई में शामिल लोगों के खिलाफ कोई एफआइआर क्यों दर्ज नहीं की गई।
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