लीबिया से लौटे शिक्षक ने बताया सही था आइएसआइएस का व्यवहार

लीबिया में अपहृत दो भारतीय शिक्षकों में से एक ने मंगलवार को जानकारी दी कि अपहर्ता ने उनके साथ आदर के साथ पेश आते थे और प्रताड़ित नहीं किया। शिक्षकों का आतंकी गुट इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने कथित रूप से अपहरण कर लिया था। बाद में उन्हें मुक्त कर दिया।

By Rajesh NiranjanEdited By: Publish:Tue, 04 Aug 2015 07:00 PM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2015 07:28 PM (IST)
लीबिया से लौटे शिक्षक ने बताया सही था आइएसआइएस का व्यवहार

हैदराबाद। लीबिया में अपहृत दो भारतीय शिक्षकों में से एक ने मंगलवार को जानकारी दी कि अपहर्ता ने उनके साथ आदर के साथ पेश आते थे और प्रताड़ित नहीं किया। शिक्षकों का आतंकी गुट इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने कथित रूप से अपहरण कर लिया था। बाद में उन्हें मुक्त कर दिया। रिहा हुए दोनों भारतीय शिक्षक कर्नाटक के हैं।

कर्नाटक के रायचूर जिला निवासी लक्ष्मीकांत यहां राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (आरजीआइए) पहुंचे। उन्होंने कहा, 'किसी ने भी हमें प्रताड़ित नहीं किया। कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। आदर से पेश आते थे।'

लीबिया के सिर्त विश्वविद्यालय में कार्यरत चार शिक्षकों में से दो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के हैं। त्रिपोली से भारत लौटने के क्रम में 29 जुलाई को चारों शिक्षकों का अपहरण कर लिया गया था। 31 जुलाई को भारत सरकार ने कहा था कि शिक्षकों में से दो को रिहा करा लिया गया है। रिहा कराए गए शिक्षकों में लक्ष्मीकांत और विजय कुमार हैं।

लक्ष्मीकांत ने कहा, 'बंधक रहने के दौरान हम चारों एक साथ थे। उन्होंने मुझे और विजय कुमार को रिहा किया। मैंने बताया कि गोपीकृष्ण और बलराम सुरक्षित हैं। मैंने उनसे दोनों बंधकों को भी रिहा करने का आग्रह किया था।'

स्वागत करने के लिए हवाई अड्डे तक परिवार के साथ लक्ष्मीकांत की पत्नी प्रतिभा भी पहुंची थी। प्रतिभा ने कहा, 'हम अत्यंत खुश हैं। हमें अपनी केंद्र सरकार पर नाज है। हम मीडिया और पारिवारिक मित्रों के आभारी हैं।'

विजय कुमार कर्नाटक के कोलार जिले के निवासी हैं। गोपीकृष्ण आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के टेक्काली के रहने वाले हैं जबकि अंग्रेजी के प्रोफेसर बलराम तेलंगाना के करीमनगर जिले के निवासी हैं।

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