Virat hospice यहां मौत भी मुस्काती है, कैंसर मरीजों के लिए इस तरह बना बड़ा सहारा

जीवन के अंतिम समय में भी मुस्कान देने वाला विराट हॉस्पिस मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर से 10 किमी दूर गोपालपुर में स्थित है।

By Ayushi TyagiEdited By: Publish:Sun, 21 Jul 2019 09:31 AM (IST) Updated:Sun, 21 Jul 2019 09:31 AM (IST)
Virat hospice यहां मौत भी मुस्काती है, कैंसर मरीजों के लिए इस तरह बना बड़ा सहारा
Virat hospice यहां मौत भी मुस्काती है, कैंसर मरीजों के लिए इस तरह बना बड़ा सहारा

टूटती सांसों में, घुटी-घुटी आसों में। जब कोई मिल जाता है, उपवन-सा खिल जाता है।। सेवा की शक्तिसे मृत्यु का तांडव भी रुद्राष्टक बन जाता है।

जबलपुर,राजीव उपाध्याय। यह वह गीत है, जो विराट हॉस्पिस में प्रतिदिन सुनाया जाता है और हर पल आखिरी सांसें गिन रहे कैंसर के मरीजों में नई ऊर्जा भर देता है। ये मरीज जानते हैं कि कोई भी पल उनका आखिरी पल हो सकता है, इसके बाद भी वे मुस्कुराना नहीं छोड़ते। 

जीवन के अंतिम समय में भी मुस्कान देने वाला विराट हॉस्पिस मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर से 10 किमी दूर गोपालपुर में स्थित है। यहां कैंसर के आखिरी चरण में पहुंच चुके ऐसे मरीज रहते हैं, जिन्हें परिजन देखभाल के लिए छोड़ जाते हैं। यहां उनकी देखभाल निशुल्क की जाती है।इस अस्पताल की गौरवाशाली उपलब्धि यह भी है कि भारत सरकार ने वर्ष 2014, 2015, 2016 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के प्रशिक्षु अधिकारियों को यहां सेवा भाव का प्रशिक्षण लेने के लिए भेजा था। विराट हॉस्पिस की अध्यक्ष ज्ञानेश्वरी दीदी के अनुसार हॉस्पिस का मतलब हॉस्पिटल फॉर पीस है। इसीलिए इसे हॉस्पिस नाम दिया गया है। इसमें मरीजों को घर जैसे माहौल का अनुभव कराया जाता है।

 इसी परिकल्पना पर विराट हॉस्पिस की 2013 में स्थापना हुई। इसमें 23 बेड हैं। मरीजों को नाश्ता, दोपहर का खाना, शाम का नाश्ता, रात का खाना, दूध, प्रोटीन दिया जाता है। उनके मनोरंजन के लिए टीवी, गेम्स हैं। मरीजों के लिए अलग से एक वाहन है। विराट हॉस्पिस को चलाने के लिए कई संस्थाएं व व्यक्तियहां राशन से लेकर रुपये तक दान करते हैं। यहां प्रशिक्षु नसिर्ंग स्टाफ है, जिनको वेतन दिया जाता है। विराट हॉस्पिस के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अखिलेश गुमाश्ता ने बताया कि देश में दिल्ली, हरिद्वार, पुणो, चंडीगढ़, मथुरा, नागपुर में इस तरह के अस्पताल हैं, लेकिन विराट हॉस्पिस बिल्कुल अलग है। यह मार्फिन फ्री है। 

कैंसर मरीजों को आमतौर पर मार्फिन की दवा दर्द निवारक के रूप में दी जाती है। इस दवा के नशे से मरीज को नींद आती है, भूख नहीं लगती और वह दर्द भूल जाता है। लेकिन इस दवा का उपयोग यहां नहीं किया जाता। यहां उनको पारिवारिक माहौल के साथ इलाज मिलता है। रेडियोथैरेपी व अन्य संभव इलाज मेडिकल कॉलेज से करवाया जाता है। यहां मरीजों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता।

1998 में संन्यास लिया: अस्पताल की संचालिका ज्ञानेश्वरी दीदी मूल रूप से हरियाणा के पिंजौर की रहने वाली हैं। अपने गुरु ब्रह्मर्षि विश्वात्मा बावराजी महाराज से दीक्षा लेने के बाद से ही वह समाज सेवा में सक्रिय हैं। 1992 में घर छोड़कर 1998 में संन्यास ले लिया था। इसके बाद समाजसेवा के लिए अलग-अलग शहरों में भ्रमण किया। नर्मदा नदी के किनारे बसा जबलपुर शहर इनको पसंद आया और इसे ही कर्मक्षेत्र बना लिया।

कैंसर के आखिरी चरण में परिवार जिनका साथ नहीं देता उनकी देखभाल होती है यहां
विराट अस्पताल की अध्यक्ष ज्ञानेश्वरी दीदी कहती है कि मेरी इच्छा थी कि एक ऐसा परिसर हो जहां कैंसर की अंतिम अवस्था ङोल रहे मरीजों को पारिवारिक माहौल में रखकर इलाज किया जा सके। कैंसर पीड़ित की ऐसी अवस्था में जहां डॉक्टर हाथ खड़े कर देते हैं और कहते हैं कि घर ले जाएं तो मरीज के परिजन चिंतित हो जाते हैं। इलाज घर में किस तरह संभव है। इसलिए ऐसे मरीजों के लिए इसे शुरू किया गया है।

chat bot
आपका साथी