वेलावदर नेशनल पार्क: देश से पूरी तरह से विलुप्त हो चुके चीता को फिर से बसाने की कवायद

योजना के तहत कुल 20 चीता अफ्रीका के नामीबिया से लाए जाएंगे। हालांकि पहली खेप में सिर्फ तीन से चार ही लाए जाएंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 09 Mar 2020 08:30 PM (IST) Updated:Mon, 09 Mar 2020 08:30 PM (IST)
वेलावदर नेशनल पार्क: देश से पूरी तरह से विलुप्त हो चुके चीता को फिर से बसाने की कवायद
वेलावदर नेशनल पार्क: देश से पूरी तरह से विलुप्त हो चुके चीता को फिर से बसाने की कवायद

अरविंद पांडेय। नई दिल्ली। देश से पूरी तरह से विलुप्त हो चुके चीता को फिर से बसाने की कवायद के बीच वन्यजीव विशेषज्ञ उसके लिए मुफीद ठौर की तलाश में जुट गए है। फिलहाल इनमें चीता के लिए अब तक जो सबसे उपयुक्त ठिकाना पाया गया है, वह गुजरात का वेलावदर नेशनल पार्क है। जिसकी पहचान अभी ब्लैकबक अभयारण्य के रूप में है। जो चीता का सबसे पसंदीदा भोजन भी है। ऐसे में इसे चीता का नया ठिकाना माना जा सकता है। हालांकि इसके अलावा नजरें कुछ और अभयारण्यों पर भी है। इनमें दो मध्य प्रदेश के भी है।

देश में चीता को फिर से बसाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशन में हुई बैठक

इस बीच देश में चीता को फिर से बसाने के लिए वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ एम के रंजीत सिंह की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने छह मार्च को इसे लेकर अपनी पहली बैठक भी की है। जो नेशनल टाइगर कनजर्वेशन अथारिटी ( एनटीसीए ) के मुख्यालय में हुई है। जिसका मुख्य फोकस चीता के उपयुक्त ठिकाने को लेकर ही था।

20 चीता अफ्रीका के नामीबिया से लाए जाएंगे

इसी बीच चीता के लिए सभी उपयुक्त अभयारण्यों को लेकर चर्चा हुई। साथ ही एनटीसीए से इन सभी का ब्यौरा भी मांगा। सूत्रों की मानें तो योजना के तहत कुल 20 चीता अफ्रीका के नामीबिया से लाए जाएंगे। हालांकि पहली खेप में सिर्फ तीन से चार ही लाए जाएंगे। 

बैठक में चीता की पसंदीदा जगह गुजरात का वेलावदर नेशनल पार्क बताया गया

सूत्रों की मानें तो चीता की पसंद को देखते हुए फिलहाल जिस अभयारण्य को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हुई है, उनमें गुजरात का वेलावदर नेशनल पार्क शामिल है। इस पार्क फिलहाल समतल और एक अच्छा ग्रासलैंड मौजूद है। जो चीता की दौड़ भरने के लिए उपयुक्त है। साथ ही इनमें चीता का सबसे पसंदीदा भोजन ब्लैक बक भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद है।

तीन और अभयारण्यों पर फोकस किया गया है, लेकिन स्थानीय लोग चीता बसाने के विरोध में हैं

इसके साथ ही जिन और तीन अभयारण्यों पर फोकस किया गया है, उनमें मध्य प्रदेश का कूनो पालपुर और नौरादेही अभयारण्य है। इनमें कूनो पालपुर चीता के लिए ज्यादा मुफीद है, लेकिन कई वन्यजीव विशेषज्ञ और स्थानीय लोग वहां चीता को बसाने का विरोध भी कर रहे है। उनका कहना है कि इसे एशियाई सिंहों के लिहाज से विकसित किया गया है। इसके साथ ही इसका विवाद अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

चीता बसाने को लेकर कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जाएगा

नौरादेही अभयारण्य के आसपास गांवों की मौजूदगी भी वन्यजीवों के लिए चिंता पैदा कर रही है। वैसे भी कूनों में गांवों के विस्थापन का दंश झेल चुकी सरकार इनमें नहीं फंसना चाहती है। इसके साथ ही राजस्थान के जैसलमेर के शाहगढ़ पर भी फोकस किया जा रहा है। फिलहाल इसे लेकर कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं होगा। वन्यजीवों के रहवास को लेकर दुनिया भर के अध्ययन पर भी नजरें दौड़ाई जा रही है।

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