अमेरिका-चीन ट्रेड वार में भारतीय उत्पादों की चांदी, भारत निर्यात बढ़ाने पर करे फोकस

देश में अपैरल और टेक्सटाइल, फुटवियर, खिलौने और गेम्स तथा मोबाइल फोन उत्पादन समेत कई ऐसे सेक्टर हैं, जिन्हें प्रोत्साहन देकर निर्यात बढ़ाया जा सकता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 05 Aug 2018 10:28 PM (IST) Updated:Sun, 05 Aug 2018 10:28 PM (IST)
अमेरिका-चीन ट्रेड वार में भारतीय उत्पादों की चांदी, भारत निर्यात बढ़ाने पर करे फोकस
अमेरिका-चीन ट्रेड वार में भारतीय उत्पादों की चांदी, भारत निर्यात बढ़ाने पर करे फोकस

नई दिल्ली, प्रेट्र। संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) और चीन के बीच ट्रेड वार ने भारतीय उत्पादों के लिए अवसरों के नए आयाम पेश किए हैं। उद्योग जगत की संस्था भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) ने रविवार को कहा कि मौजूदा हालात में भारत को अमेरिका में मशनरी, इलेक्ट्रिकल उपकरण, वाहन और परिवहन पुर्जे, रसायन, प्लास्टिक और रबर उत्पादों के निर्यात पर फोकस करना चाहिए।

सीआइआइ ने कहा, 'अमेरिका और चीन द्वारा एक-दूसरे के उत्पादों पर आयात शुल्क लगाने के बाद भारत को दोनों देशों में संबंधित उत्पादों के निर्यात के मौके तलाशने चाहिए।' संस्था के मुताबिक अमेरिका ने चीन से आयातित पंप, सैन्य विमानों के पुर्जे, चिकित्सा जांच के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, 1,500-3,000 सीसी क्षमता वाले वाहनों और कई अन्य पुर्जो पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी की है।

पिछले वर्ष भारत से इन वस्तुओं का निर्यात पांच करोड़ डॉलर से कुछ ज्यादा रहा था। सीआइआइ का कहना है कि अमेरिका-चीन की मौजूदा तनातनी का फायदा उठाते हुए भारत इन उत्पादों का निर्यात बढ़ाने पर फोकस कर सकता है। संस्था ने कहा कि वियतनाम, इंडोनेशिया, थाइलैंड और मलेशिया जैसे देशों ने पिछले कुछ वर्षो में अमेरिका में इन उत्पादों का निर्यात खासा बढ़ाया है।

सीआइआइ का मानना है कि अमेरिका को भारत से इनमें से कई उत्पादों के निर्यात में तेजी आई है। ऐसे में रक्षा और हवाई क्षेत्र, वाहन और ऑटोमोबाइल कल-पुर्जे, इंजीनियरिंग तथा इस तरह के अन्य क्षेत्र के उत्पादों का अमेरिका को निर्यात बढ़ाने की अच्छी गुंजाइश है।

संस्था के मुताबिक देश में अपैरल और टेक्सटाइल, फुटवियर, खिलौने और गेम्स तथा मोबाइल फोन उत्पादन समेत कई ऐसे सेक्टर हैं, जिन्हें प्रोत्साहन देकर निर्यात बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा इन उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका से रणनीतिक बातचीत भी की जा सकती है।

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