उप्र के मुख्य सचिव और डीजीपी ने सुप्रीम कोर्ट में दी सफाई

दोनों अधिकारियों ने कहा है कि मेरठ के संबंधित थाने के सब इंस्पेक्टर को ड्यूटी में लापरवाही के लिए गत सात जनवरी को निलंबित कर दिया गया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Fri, 13 Jan 2017 02:40 AM (IST) Updated:Fri, 13 Jan 2017 02:48 AM (IST)
उप्र के मुख्य सचिव और डीजीपी ने सुप्रीम कोर्ट में दी सफाई

नई दिल्ली,[माला दीक्षित]। सुप्रीम कोर्ट से जारी गैर जमानती वारंट (एनबीडब्लू) के तामील न होने के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राहुल भटनागर और डीजीपी जावेद अहमद ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सफाई दी है। दोनों अधिकारियों ने कहा है कि मेरठ के संबंधित थाने के सब इंस्पेक्टर को ड्यूटी में लापरवाही के लिए गत सात जनवरी को निलंबित कर दिया गया है। इतना ही नहीं उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है और उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है।

दोनों अधिकारियों ने ये हलफनामे सुप्रीम कोर्ट के गत चार जनवरी के आदेश पर दाखिल किये हैं। इस मामले में कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। दोनों अधिकारियों ने वकील रवि प्रकाश मेहरोत्रा के जरिए दाखिल किये गये हलफनामों में कहा है कि वे प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी हैं। उनका सर्विस रिकॉर्ड बेदाग है। वे कोर्ट का बहुत सम्मान करते हैं। कोर्ट से जारी गैर जमानती वारंट के तामील न होने के मामले में उन्होंने एसएसपी मेरठ से रिपोर्ट मांगी थी।

एसएसपी ने उन्हें अपनी रिपोर्ट में बताया कि मामले की जांच की गई। एनबीडब्लू तामील करने की जिम्मेदारी मेरठ कोतवाली में तैनात सब इंस्पेक्टर उपेन्द्र मलिक की थी। जिसकी रिपोर्ट थी कि उसने कोर्ट के आदेश को तामील करने के लिए प्रयास किया लेकिन अभियुक्त असगर अपने घर पर नहीं मिला। अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के नाराज होने के आदेश के बाद एसएसपी मेरठ ने मामले की फिर प्रारंभिक जांच कराई। जांच मेरठ के ब्रम्हपुरी थाने के सर्किल ऑफिसर ने की। जांच में पाया गया कि संबंधित सब इंस्पेक्टर ने एनबीडब्लू तामील करने की अपनी ड्यूटी में लापरवाही की थी। दोनों अधिकारियों ने कोर्ट से कहा है कि वे इससे लिए शर्मिदा हैं और कोर्ट से खेद प्रकट करते हैं।

सर्किल अधिकारी की जांच में संबंधित सब इंस्पेक्टर प्रथम दृष्टया ड्यूटी में लापरवाही का दोषी पाया गया। एसएसपी मेरठ ने संबंधित सब इंस्पेक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और पूछा है कि उसकी सर्विस बुक में इसके लिए विपरीत प्रविष्टि क्यों न की जाए। उसे सात दिन में लिखित जवाब देना है। मामले की गंभीरता को देखते हुए गत सात जनवरी को उसे निलंबित कर दिया गया है। उसके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है।

यह मामला मेरठ के पेरामल बाजार में किराएदार के दुकान खाली करने का है। कोर्ट के आदेश के बावजूद जब किरायेदार असगर ने दुकान खाली नहीं की तो 15 दिसंबर को कोर्ट ने असगर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था और चार जनवरी तक उसकी तामील होनी थी। लेकिन चार जनवरी को जब मामला सुनवाई पर आया तो असगर अपने वकील के साथ कोर्ट में पेश हुआ। उसके वकील ने कहा कि दुकान खाली करने के आदेश का पालन हो गया है। असगर कोर्ट में स्वयं मौजूद है और उसने हलफनामा दाखिल कर दिया है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि वे जानना चाहते हैं कि एनबीडब्लू का पालन क्यों नहीं हुआ। 15 दिसंबर को एनबीडब्लू जारी हुआ था और चार जनवरी तक तामील होना था। जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाना था वो खुद हलफनामा लेकर कोर्ट में पेश है और कह रहा है कि उसने आदेश का पालन कर दिया है। पीठ ने नाराजगी जताते हुए इस पर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी से स्पष्टीकरण का हलफनामा मांगा था। यह भी कहा था कि हलफनामा न देने पर उन्हें 13 जनवरी को निजी तौर पर अदालत में पेश होना होगा।

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