वाइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में बोले जयशंकर, बदलते वक्त के अनुरूप नहीं है संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था

वाइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कुछ देश बस अपने लाभ पर ध्यान केंद्रित करते रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हितों की अनदेखी की है। सदस्यों के आधार पर जी20 की भी अपनी प्राथमिकताएं हैं।

By AgencyEdited By: Publish:Fri, 13 Jan 2023 11:49 PM (IST) Updated:Fri, 13 Jan 2023 11:49 PM (IST)
वाइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में बोले जयशंकर, बदलते वक्त के अनुरूप नहीं है संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था
बदलते वक्त के अनुरूप नहीं है संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था: जयशंकर

नई दिल्ली, पीटीआई। संयुक्त राष्ट्र एक ऐसी ठहरी हुई व्यवस्था है, जिसे 1945 में बनाया गया था और अब यह अपने सदस्यों की चिंताओं को दूर करने में सक्षम नहीं है। वाइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के दूसरे दिन अपने संबोधन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह बात कही। उन्होंने नई वैश्वीकरण की व्यवस्था बनाने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने का आह्वान किया और कहा कि अधिक लोकतांत्रिक व समतामूलक विश्व का निर्माण वृहद विविधीकरण तथा क्षमताओं के स्थानीयकरण के आधार पर ही हो सकता है।

कुछ देशों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हितों की अनदेखी की

विदेश मंत्री ने विकासशील देशों के समक्ष कर्ज, व्यापार के क्षेत्र में बाधा, वित्तीय प्रवाह में कमी और जलवायु परिवर्तन के कारण संकट जैसी चुनौतियों का भी उल्लेख किया। अपने संबोधन में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत जी20 देशों के बीच हरित विकास समझौते पर सहमति बनाने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा, 'कुछ देश बस अपने लाभ पर ध्यान केंद्रित करते रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हितों की अनदेखी की है। सदस्यों के आधार पर जी20 की भी अपनी प्राथमिकताएं हैं। हम इसे बदलने का प्रयास कर रहे हैं।'

विदेश मंत्री ने विकास के लिए डाटा जुटाने पर भी चर्चा की बात कही। विभिन्न देश अलग-अलग स्तर पर डाटा आधारित इनोवेशन पर काम कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ पर जोर दिया, जिससे सभी के लिए अवसर बनेंगे।

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जी20 की चर्चा में अन्य देशों के विचारों को भी मिले महत्व

सम्मेलन के दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत इस बात में विश्वास करता है कि विमर्श के दौरान जी20 के बाहर के देशों के नजरिये को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा ऐसी वैश्विक पहल को प्रोत्साहित किया है जिसमें विकासशील देशों के हितों की चिंता की जाए। प्रधान ने कहा, 'जी-20 एजुकेशन वर्किंग ग्रुप में हम प्राथमिक शिक्षा के जुड़े मुद्दे पर चर्चा करेंगे। साथ ही टेक्नोलाजी आधारित पढ़ाई को ज्यादा समावेशी बनाने पर जोर दिया जाएगा।'

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