वन नेशन वन राशन कार्ड के चलते दुकान बदलने की छूट से कुछ राशन दुकानों की हो रही छुट्टी

वन नेशन वन राशन कार्ड योजना की शुरुआत उन प्रवासी मजदूरों के लिए शुरु हुई है जो दूसरे राज्यों में रोजी रोटी के लिए प्रवास करते हैं। उन्हें वहीं पर उनके हिस्से का अनाज उपलब्ध कराया जाता है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Fri, 04 Jun 2021 07:15 PM (IST) Updated:Fri, 04 Jun 2021 07:35 PM (IST)
वन नेशन वन राशन कार्ड के चलते दुकान बदलने की छूट से कुछ राशन दुकानों की हो रही छुट्टी
बिहार और राजस्थान की राशन दुकानों पर पड़ा सबसे ज्यादा असर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना के तहत उपभोक्ताओं को मिली दुकान बदलने की छूट से अच्छी सेवा न देने वाली राशन दुकानों की छुट्टी होने लगी है। योजना की सफलता का आलम यह है कि पिछले सालभर में तकरीबन 20 करोड़ सौदे दुकानें बदलकर किए गए। इनमें ज्यादातर राज्य के भीतर खरीद हुई है। केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने बताया कि योजना से उपभोक्ताओं का सशक्तिकरण हो रहा है, जिससे वे अपनी मर्जी व पसंद की दुकानों से राशन खरीद रहे हैं। पांडेय ने बताया कि बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में इस तरह की गतिविधि ज्यादा देखी जा रही है।

खाद्य सचिव पांडेय ने बताया कि अच्छी सेवाएं न देने वाली राशन दुकानों से उपभोक्ताओं का मोहभंग हो रहा है। जिससे वे इस सुविधा का लाभ उठाकर दुकानें बदलने लगे हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि बिहार और राजस्थान में ही उपभोक्ताओं की संख्या घटने से अब तक पांच सौ से अधिक दुकानों को बंद करने का नोटिस जारी किया जा चुका है। देश के दूसरे राज्यों में भी इस तरह की सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं। जबकि 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना की शुरुआत उन प्रवासी मजदूरों के लिए शुरु हुई है जो दूसरे राज्यों में रोजी रोटी के लिए प्रवास करते हैं। उन्हें वहीं पर उनके हिस्से का अनाज उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन दूसरा पहलू काफी रोचक साबित हो रहा है। इसमें जहां अच्छी सुविधा होगी उपभोक्ता वहीं से राशन उठाने लगे हैं।

वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना के तहत प्रत्येक महीने तकरीबन डेढ़ करोड़ लेन देन हो रहे हैं। इसमें राज्य के भीतर और अंतर राज्यीय लेनदेन भी शामिल है। कोरोना संक्रमण काल के एक साल के दौरान 20 करोड़ सौदे हुए है। इसका सबसे अधिक लाभ प्रवासी मजदूरों को मिला है।

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