छत्तीसगढ़ के इस गांव के लोगों ने शराब से की तौबा, तो खत्म हो गए अपराध

इस गांव में अपराध का ग्राफ शून्य हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव को शत प्रतिशत शराब मुक्त करने से यह चमत्कारिक परिणाम सामने आया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 24 Dec 2018 02:43 PM (IST) Updated:Tue, 25 Dec 2018 07:36 PM (IST)
छत्तीसगढ़ के इस गांव के लोगों ने शराब से की तौबा, तो खत्म हो गए अपराध
छत्तीसगढ़ के इस गांव के लोगों ने शराब से की तौबा, तो खत्म हो गए अपराध

जशपुरनगर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला में स्थित कनमोरा गांव के ग्रामीणों को पुलिस की सहायता की जरूरत पिछले 7 साल से नहीं पड़ी है। इस गांव में अपराध का ग्राफ शून्य हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव को शत प्रतिशत शराब मुक्त करने से यह चमत्कारिक परिणाम सामने आया है।

शराब बंदी में गांव की महिलाओं ने आगे आकर पहल की था। इस गांव के सरपंच ने बताया कि गांव के बच्चों को शराब पीने का आदि होता देख कर महिलाओं ने शराब बंदी की पहल की थी। गांव में शराब बंदी करने के लिए बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में गांव में शत प्रतिशत शराबबंदी का निर्णय लेने के लिए महिलाओं को खूब संघर्ष करना पड़ा।

हाथ में घंटी लेकर महिलाओं ने चलाइ मुहिम
शराब के बुरी तरह से आदि हो चुके ग्रामीण और इसे बेच कर मोटी रकम कमा रहे लोगों ने इसका खुल कर विरोध किया, लेकिन बच्चों को नशे की लत से बचाने के लिए कटिबद्ध महिलाएं अपने इरादे से नहीं डिगीं और बैठक में शराब बंदी का प्रस्ताव पारित हो गया। इसके बाद शुरू हुआ शराब विरोधी आंदोलन। महिलाएं हाथ में घंटी लेकर गांव की गलियों का चक्कर लगाना शुरू कर दिया। जिस गांव में भी शराब मिली,उसे निकाल कर नष्ट कर दिया। शराब पीने और बेचने वालों पर जुर्माना लगा कर सख्ती की जाने लगी। दबाव बढ़ाने के लिए सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी भी दी गई। एक साल आते-आते गांव में आंदोलन का असर दिखने लगा। शराब कम होने से गांव में आई शांति और सुधरते हुए महौल को देखते हुए पुस्र्षों ने भी इसमें सहयोग करना शुरू कर दिया। जिससे गांव पूरी तरह से शराब मुक्त हो गया। नशे के जाल से मुक्ति का सबसे बड़ा असर इस गांव के परिवारों पर पड़ा।

अब आपस में बैठकर निपटा लेते हैं छोटे-मोटे विवाद
आंदोलन से जुड़ी इस गांव की महिलाओं ने बताया कि पहले शराब के नशे में गांव के हर परिवार में झगड़ा हुआ करता था। नशे में धुत्त पुस्र्ष महिलाओं से मारपीट किया करते थे। अब यह सब बीते दिनों की बात हो गई है। गांव का कोई भी मसला आने पर ग्रामीण यहां बैठक कर आपस में निबटा लेते हंै। ना पुलिस का झंझट और ना ही कोर्ट का चक्कर।

निगरानी के लिए बनाई समिति
गांव की इस परम्परा को कायम रखने के लिए शुक्रवार को सरपंच के नेतृत्व में एक बार फिर बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में शराब मुक्ति आंदोलन को बनाए रखने की जिम्मेदारी दूसरे ग्रामीणों को सौंपी गई। बैठक में 10-10 लोगों का समूह गठित कर गांव में शराब निर्माण और इसकी बिक्री पर निगरानी करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया।  

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