1993 मुंबई बम धमाकों से क्या है दाऊद इब्राहिम और चूड़ियों का कनेक्शन

अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम ने 1993 मुंबई बम धमाके क्यों कराए उसके पीछे भी कहानी है। आइए जानें वह कहानी...

By Digpal SinghEdited By: Publish:Mon, 12 Mar 2018 01:29 PM (IST) Updated:Mon, 12 Mar 2018 02:05 PM (IST)
1993 मुंबई बम धमाकों से क्या है दाऊद इब्राहिम और चूड़ियों का कनेक्शन
1993 मुंबई बम धमाकों से क्या है दाऊद इब्राहिम और चूड़ियों का कनेक्शन

 नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। साल 1993 के मुंबई धमाकों को आज पूरे 25 साल हो गए हैं। आज ही के दिन 25 साल पहले करीब 2 घंटे तक मुंबई के अलग-अलग इलाकों में सिलसिलेवार धमाके होते रहे और इस तेज रफ्तार शहर की जिंदगी बेपटरी हो गई। इन धमाकों में 257 लोगों की मौत हुई, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। उन धमाकों के कई किरदार थे। जिनमें से अबू सलेम और फारूख टकला जैसे कुछ लोग पुलिस कि गिरफ्त में हैं।

इन धमाकों के मास्टरमाइंड अबू सलेम समेत अन्य कई दोषियों को तो विशेष टाडा अदालत ने सजा भी सुना दी है। लेकिन इन धमाकों के पीछे जो सबसे बड़ा नाम था वह दाऊद इब्राहिम आज भी भारतीय कानून की गिरफ्त से दूर है। दाऊद ने यह धमाके क्यों कराए उसके पीछे भी कहानी है। मुंबई धमाकों के पीछे का कारण बाबरी मस्जिद ढहाए जाने को बताया जाता है। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाए जाने के बाद मुंबई समेत पूरे देश में दंगे भड़के थे।

चूड़ियां बनी थीं दाऊद के गुस्से की वजह!

एस हुसैन जैदी की किताब 'ब्लैक फ्राइडे' के मुताबिक 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाए जाने के बाद खामोश बैठे दाऊद को कुछ मुस्लिम महिलाओं ने डिब्बे में चूड़ियां रखकर भेजीं। ये वह चीज थी, जिस पर दाऊद भड़क गया और उसके बाद ही फिर उसने गैंग को मुंबई की बर्बादी का आदेश दिया। विवादित ढांचे के ढहाए जाने और मुंबई में छिटपुट दंगों के बाद दाऊद पर बदला लेने का दबाव डाला जा रहा था। उसके कई करीबी चाहते थे कि वह कुछ ऐसा करे, जिससे बदला लिया जा सके।

दाऊद ने किया इशारा और दहल गई मुंबई

दरअसल, 1993 मुंबई धमाके में 257 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 713 गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस तबाही में करीब 27 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति नष्ट हो गई थी। इन धमाकों की चीख देशभर में सुनी गई। मुंबई धमाके को पूरे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था। अंडरवर्ल्ड डान दाऊद इब्राहिम का इशारा मिलने के बाद सबसे पहले मुंबई में धमाकों के लिए लोगों को चुना गया। उन्हें दुबई के रास्ते पाकिस्तान भेजकर ट्रेनिंग दी गई। स्मगलिंग के अपने जाल का इस्तेमाल करते हुए दाऊद ने अरब सागर के रास्ते विस्फोटक मुंबई पहुंचाए थे।

एक के बाद एक होते रहे धमाके

इस खूनी खेल को अंजाम देने के लिए मुंबई में उन सभी जगहों की पहचान और समय तय किए गए, जहां पर विस्फोट की वारदातों को अंजाम दिया जाना था। ये धमाके शहर के अलग-अलग इलाकों में करीब दो घंटे तक होते रहे और पूरी मुंबई की जिन्दगी को जैस थम कई। चारों तरफ अफरातफरी और दहशत का मौहाल था। पहला धमाका करीब डेढ़ बजे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के पास हुआ और अंतिम धमाका 3.40 बजे (सी रॉक होटल) हुआ था।

गौरतलब है कि एस हुसैन जैदी की किताब 'ब्लैक फ्राइडे' पर बनी फिल्म का शिवसेना ने कड़ा विरोध किया था। इससे पहले साल 2007 में पूरी हुए सुनवाई के पहले चरण में टाडा अदालत ने इस मामले में याकूब मेमन सहित सौ आरोपियों को दोषी ठहराया था, जबकि 23 लोग बरी हुए थे।

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