इस कैंटीन में महज 30 पैसे में मिलता है भरपेट स्वादिष्ट भोजन, 15 हजार कर्मी उठाते हैं लाभ

कैंटीन में महज 30 पैसे में आप भरपेट स्वादिष्ट भोजन खा सकते हैं। भोजन में चावल, दाल, दो तरह की सब्जी, पापड़, दो केला, सलाद, दही और मिठाई भी।

By Arti YadavEdited By: Publish:Wed, 26 Dec 2018 08:21 AM (IST) Updated:Wed, 26 Dec 2018 08:21 AM (IST)
इस कैंटीन में महज 30 पैसे में मिलता है भरपेट स्वादिष्ट भोजन, 15 हजार कर्मी उठाते हैं लाभ
इस कैंटीन में महज 30 पैसे में मिलता है भरपेट स्वादिष्ट भोजन, 15 हजार कर्मी उठाते हैं लाभ

अरविंद श्रीवास्तव, जमशेदपुर। भोजन में चावल, दाल, दो तरह की सब्जी, पापड़, दो केला, सलाद, दही और मिठाई भी। कीमत महज 30 पैसे। जी हां, 30 पैसे। इसी तरह नाश्ते में नमकीन पूड़ी, प्याजी, लड्डू, हलवा, चने की घुघुनी, कचौड़ी और आलूचाप, हर आइटम केवल छह पैसे में। यकीन नहीं आ रहा तो देखने के लिए चले आइए जमशेदपुर।

यह टाटा मोटर्स की कैंटीन है। यहां हर दिन करीब पंद्रह हजार कर्मचारी इस कैंटीन में खाने का आनंद उठाते हैं। दावा है कि विश्र्व की किसी भी सरकारी या गैर सरकारी कंपनी में इस तरह की सुविधा नहीं मिलेगी। महंगाई के इस दौर में जहां कंपनियां हर तरह की सुविधाओं में कटौती कर रही हैं, वहीं टाटा मोटर्स की यह कैंटीन 64 वर्षों से कॉरपोरेट जगत में अपने कर्मचारियों के लिए सस्ता भोजन परोसकर नजीर पेश कर रही है। यह सुविधा न सिर्फ स्थायी बल्कि अस्थायी, प्रशिक्षु और ठेका कर्मचारियों के लिए भी उपलब्ध है। कंपनी में नाश्ते और भोजन के लिए टोकन मिलता है। कर्मचारी एक हफ्ते के लिए इसे खरीद कर रख लेते हैं।

15 हजार कर्मचारी करते हैं भोजन
टाटा मोटर्स की इस अनूठी कैंटीन में प्रति दिन करीब 15 हजार कर्मचारी भोजन करते हैं। इनमें स्थायी, अस्थायी, प्रशिक्षु कर्मियों की संख्या साढ़े दस हजार है। जबकि साढ़े चार हजार ठेका कर्मचारी हैं। इस कैंटीन में सिर्फ स्थायी कर्मचारियों को भोजन के लिए 60 पैसे यानी हर महीने में बीस रुपये चुकाने पड़ते हैं। शेष को सिर्फ 30 पैसे ही देने होते हैं।

टाटा मोटर्स कंपनी वर्ष 1954 में स्थापित हुई थी। तभी इस कैंटीन की बुनियाद रखी गई थी। उसी समय से यहां कम कीमत पर भोजन और नाश्ता कर्मचारियों को उपलब्ध कराया जा रहा है। कंपनी पहले खुद इस कैंटीन को चलाती थी। अब इसे सोडेस्को नामक एजेंसी चला रही है। एजेंसी को इस एवज में टाटा मोटर्स कंपनी अनुदान देती है।

 स्व. गोपेश्र्वर ने की थी पहले
प्रारंभिक दौर में टेल्को वर्कर्स यूनियन के महामंत्री रहे स्व. गोपेश्र्वर ने इस कैंटीन के लिए सर्वप्रथम पहल की थी। यह उन्हीं के दिमाग की उपज है। यूनियन के महामंत्री रहे चंद्रभान प्रसाद ने वर्ष 2010 में कंपनी के साथ ग्रेड रिवीजन के दौरान टोकन की जगह स्थायी कर्मचारियों के लिए वेतन से ही दस रुपये काट लेने की सुविधा लागू करा दी। वर्ष 2017 में 31 जुलाई को पुन: ग्रेड समझौता के दौरान स्थायी कर्मचारियों के लिए 60 पैसे प्रति थाली तय कर दिए गए। पैसा वेतन से ही हर माह 10 की जगह 20 रुपये कटने लगा। नाश्ते की दर पूर्व की तरह प्रति आइटम छह पैसे जारी रहा। वहीं ठेका व प्रशिक्षु कर्मचारियों को भी पूर्व की तरह 30 पैसे के कूपन से ही भोजन मिल रहा है।

टेल्को वर्कर्स यूनियन के प्रवक्ता संतोष सिंह का कहना है कि कंपनी प्रबंधन व यूनियन के बीच बेहतर तालमेल के कारण ही ऐसा संभव हुआ है। इस तालमेल को भविष्य में भी बरकरार रखा जाएगा। गर्व की बात है कि इस कैंटीन में सबसे कम दर पर खाना-नाश्ता मिलता है।

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