दुनिया भर में प्रसिद्ध हो रहा भोजपुरी माई मंदिर, 10 देशों की है प्रमुख भाषा, जानें- इसका इतिहास

वाराणसी के बड़ा लालपुर में मॉरीशस के सहयोग से बना है भोजपुरी माई का मंदिर। यहां रोज पूजा भी होती है। जानें- किन-किन देशों में बोली जाती है भोजपुरी और क्या है इसका इतिहास।

By Amit SinghEdited By: Publish:Wed, 19 Dec 2018 11:10 AM (IST) Updated:Wed, 19 Dec 2018 04:33 PM (IST)
दुनिया भर में प्रसिद्ध हो रहा भोजपुरी माई मंदिर, 10 देशों की है प्रमुख भाषा, जानें- इसका इतिहास
दुनिया भर में प्रसिद्ध हो रहा भोजपुरी माई मंदिर, 10 देशों की है प्रमुख भाषा, जानें- इसका इतिहास

वाराणसी, वंदना सिंह। देश-विदेश में करोड़ों लोग जिस भोजपुरी भाषा को अपनी मां के समान दर्जा देते हैं, उनके लिए खुशखबरी है। शिव की नगरी बनारस में भोजपुरी माई का मंदिर आकार ले चुका है। बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा देश के लगभग सभी राज्यों में इस भाषा के बोलने वाले मिल जाएंगे। दुनिया के कई देशों में भी भोजपुरी प्रमुख भाषा है। इन सभी लोगों के गौरव के प्रतीक के रूप में बनारस में भोजपुरी माई की 108 फीट ऊंची प्रतिमा लगाने की तैयारी भी चल रही है।

काशी यानी बनारस के बड़ा लालपुर में जीवनदीप पब्लिक स्कूल में भोजपुरी माई का मंदिर स्थापित किया गया है। अब काशी में 108 फीट ऊंची भोजपुरी माई की प्रतिमा स्थापित होनी है। यहां 21-23 जनवरी को प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान इसका भी शिलान्यास हो सकता है।

दरअसल इस वर्ष प्रवासी भारतीय दिवस में, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ भी शामिल होने के लिए आ रहे हैं। उनका मूल निवास स्थान यूपी के बलिया जिले में है। इन दिनों जिला प्रशासन उनके गांव की भी पड़ताल करने में जुटा हुआ है। मॉरीशस और फिजी जैसे देशों में भोजपुरी काफी व्यापक स्तर पर बोली जाती है। गन्ने की खेती के लिए कभी पूर्वांचल और बिहार से मजदूर बनकर वहां गए लोगों ने भोजपुरी को और समृद्ध बनाने का काम किया है।

भोजपुरी, प्रवासियों को हिंदुस्तान से जोड़ती है। चूंकि यह आयोजन इस बार भोजपुरी बेल्ट में हो रहा है, लिहाजा भोजपुरी को भी आयोजन में खासा महत्व दिया जा रहा है। बनारस में स्थापित की गई भोजपुरी माई की मूर्ति संभवत: विश्व की पहली प्रतिमा है, जो किसी भाषा को समर्पित की गई है। इसे मॉरीशस के सहयोग से स्थापित किया गया है। इसके बाद से यहां प्रतिमा पर नित्य माला फूल चढ़ाने के साथ ही भोजपुरी माई की प्रतिमा के पूजन का दौर भी शुरू हो चुका है।

बाबतपुर में स्थापित होगी 108 फीट ऊंची प्रतिमा
मॉरीशस के उच्चायुक्त ने अपने दौरे में 108 फीट की भोजपुरी माई की प्रतिमा स्थापित करने की बात कही थी। इस प्रतिमा को बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के पास बनने वाले प्रवासी भवन में स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने 108 फीट की भोजपुरी माई की प्रतिमा लगाने की चर्चा को बल देकर बोली को मां के तौर पर मान्यता दिलाने की भी कवायद काशी से शुरू की है।

प्रवासी भवन के लिए जमीन चिन्हित
बड़ागांव स्थित राजकीय कन्या जूनियर हाई स्कूल, काफी वर्ष पूर्व बन्द हो जाने के बाद से उसकी जमीन खाली पड़ी थी। इस खाली जमीन पर प्रवासी भवन बनवाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था। सरकार ने यहां दो एकड़ जमीन, प्रवासी भवन के लिए चिन्हित भी कर ली है। जमीन का अवलोकन मंत्री नीलकंठ तिवारी सहित जिले के आलाधिकारी भी कर चुके हैं। इसके बाद उम्मीद की जा रही है कि प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान यहां शिलान्यास कर निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है।

बलिया में वंशजों की तलाश
बलिया जिले में प्रशासन इन दिनों, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के वंशजों की तलाश कर रहा है। बीते दिनों मॉरीशस के उच्चायुक्त ने बलिया जाकर प्रशासन को इस बात से अवगत कराया था। प्रवासी भारतीय दिवस पर बतौर अध्यक्ष शामिल होने आ रहे प्रविंद जगन्नाथ के वंशज बलिया से जुड़े रहे हैं। लिहाजा वाराणसी में 21-23 जनवरी तक आयोजित होने वाले प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान वह अपने पूर्वजों की माटी को भी नमन करने जाएंगे। इसी तरह आयोजन में कई ऐसे लोग भी शामिल होंगे जिनकी बुनियाद न सिर्फ पूर्वांचल की धरती होगी, बल्कि उनकी विदेशी जुबान भी भोजपुरी होगी।

कैसे हुआ भोजपुरी बोली का नामकरण
भोजपुरी बोली का नामकरण बिहार के आरा जिले में स्थित भोजपुर गांव के नाम पर हुआ है। मध्य काल में इस स्थान को मध्य प्रदेश के उज्जैन से आए भोजवंशी परमार राजाओं ने बसाया था। उन्होंने इसे अपनी राजधानी बनाया और अपने पूर्वज राजा भोज के नाम पर इस जगह का नाम भोजपुर रखा था। इसी कारण इसके आसपास बोली जाने वीला भाषा को भोजपुरी कहा जाने लगा। भाषाविदों के अनुसार भोजपुरी भाषा का इतिहास सातवीं सदी से शुरू होता है। संत कबीर दास (1297) का जन्मदिवस, भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में विश्व भोजपुरी दिवस के रूप में मनाया जाता है। कुछ देशों में इसे भाषा का दर्जा भी प्राप्त है।

भोजपुरी बोली से जुड़े अन्य रोचक तथ्य भारत में भोजपुरी प्रमुख रूप से पश्चिमी बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और उत्तरी झारखंड में बोली जाती है। अब भारत के लगभग सभी राज्यों में दैनिक जीवन में भोजपुरी बोलने वाले लोग मौजूद हैं। फिजी और नेपाल में भोजपुरी को संवैधानिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। मॉरीशस, गुयाना, त्रिनिदाद, टौबैगो, सूरीनामा देश में भी भोजपुरी प्रमुख बोली के रूप में प्रचलित है। सिंगापुर, उत्तरी अमेरिका और लैटिन अमेरिका में भी भोजपुरी बोलने वालों की संख्या काफी ज्यादा है। भारतीय जनगणना (2001) के अनुसार देश में लगभग 3.3 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट व उत्तर अमेरिकी भोजपुरी संगठन के अनुसार पूरे विश्व में भोजपुरी बोलने वालों की संख्या 16-18 करोड़ है। अन्य रिपोर्ट के अनुसार केवल बिहार में आठ करोड़ और यूपी में सात करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं। माना जाता है कि जनगणना के दौरान ज्यादातर लोगों ने भोजपुरी बोली की जगह हिंदी को अपनी मातृ भाषा बताया, इस वजह से जनगणना व अन्य स्रोतों के आंकड़ों में इतना बड़ा अंतर है।

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