देखिए, 100 रुपये के नए नोट में क्या है खास; RBI जल्द करेगा जारी

'रानी की वाव' एक स्टेपवेल है, नोट पर इसके चित्र को उकेरकर भारत की विरासत को दिखाया जाएगा।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Thu, 19 Jul 2018 04:33 PM (IST) Updated:Thu, 19 Jul 2018 10:53 PM (IST)
देखिए, 100 रुपये के नए नोट में क्या है खास; RBI जल्द करेगा जारी
देखिए, 100 रुपये के नए नोट में क्या है खास; RBI जल्द करेगा जारी

नई दिल्ली(एएनअाई)। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जल्दी ही 100 रुपये का नया नोट जारी किया जाएगा। महात्मा गांधी सीरीज के इन नए नोटों पर मौजूदा गवर्नर उर्जित पटेल के हस्ताक्षर होंगे। केंद्रीय बैंक की ओर से जारी बयान के मुताबिक इस नए नोट के पिछले हिस्से पर गुजरात के पाटन जिले में स्थित 'रानी की वाव' का चित्र होगा। 'रानी की वाव' एक स्टेपवेल है, नोट पर इसके चित्र को उकेरकर भारत की विरासत को दिखाया जाएगा।

जानें, 100 रुपये के नए नोट की होगी क्या खासियतें...

फ्रंट में क्या होगा

1. अंकों में 100 नीचे की तरफ लिखा होगा।

2. देवनागरी लिपि में १०० बीच में गांधी जी के चित्र के बाईं ओर अंकित होगा।

3. मध्य में गांधी जी की तस्वीर होगी।

4. माइक्रो लेटर्स में ‘RBI’, ‘भारत’, ‘India’ और ‘100’ लिखा होगा।

5. महात्मा गांधी की तस्वीर के दाईं ओर प्रॉमिस क्लॉज होगा और उसके नीचे गवर्नर के साइन होंगे।

6. दाईं तरफ ही अशोक स्तंभ होगा।

सिक्योरिटी फीचर भी पूरी तरह भारतीय

प्रिंटिंग में लगने वाली स्याही भारतीय है और सिक्योरिटी फीचर भी पूरी तरह भारत में ही तैयार किए गए हैं। नोट की एक और खासियत इसमें छपने वाला स्मारक भी है। नोट के पिछले हिस्से में यूनेस्को की विश्वदाय सूची में शामिल गुजरात के पाटण स्थित रानी की बावड़ी नोट दिखाई देगी। आमतौर पर लोगों के बीच कम चर्चित इस ऐतिहासिक इमारत को यूनेस्को ने बावडिय़ों की रानी की उपाधि दी है। गत 10 अप्रैल को ही दैनिक जागरण ने यह खबर प्रकाशित की थी कि सौ रुपये के नोट पर विश्वदाय सूची में शामिल किसी स्मारक की फोटो छापी जाएगी।

ये होंगे सिक्योरिटी फीचर

नए नोट की सिक्योरिटी फीचर में सबसे प्रमुख गांधी जी का चित्र होगा। इस सिक्योरिटी फीचर को गुप्त रखा जाएगा लेकिन यह नोट के रंग से कंट्रास्ट में होगा। नोट का रंग हल्का जामुनी होगा। आरबीआइ सूत्रों के अनुसार यही सबसे बड़ा सिक्योरिटी फीचर है। इसके अलावा करीब दो दर्जन सूक्ष्म सिक्योरिटी फीचर बढ़ाए गए हैं, जो पुराने नोट में नहीं है।

छोटा होगा नोट

इस नोट का कलर हल्का बैंगनी होगा। इस बैंक का साइज 66 mm × 142 mm होगा। अन्य नए नोटों की तरह सौ रुपये का नोट भी पुराने नोट से छोटा होगा। एक गड्डी का वजन तकरीबन 83 ग्राम होगा। नोट की लंबाई और चौड़ाई में करीब 10 फीसद की कमी की गई है।

जल्द बदलेगी एटीएम की कैश ट्रे

सौ रुपये के नोट के आकार प्रकार में बदलाव के चलते एटीएम के कैश ट्रे भी बदले जाएंगे। हालांकि अभी इस संबंध में कोई आदेश नहीं जारी हुआ है लेकिन, आरबीआइ के एक सूत्र का कहना है कि अगस्त माह तक इस संबंध में सभी बैंकों को आदेश जारी कर दिए जाएंगे। हालांकि कुछ बैंकों ने आटोमेटिक कैश ट्रे वाले एटीएम का आर्डर दे रखा है लेकिन, इनकी संख्या अभी कम है।

पुराने नोट बंद नहीं होंगे

 केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस नए नोट के साथ ही पहले से प्रचलित 100 रुपये के नोट की सभी सीरीज पहले की तरह ही मान्य होंगी। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इन नए नोटों के जारी होने के बाद इसकी सप्लाई तेजी से बढ़ाई जाएगी। 
जानिए- क्या है रानी की बाव
यह गुजरात राज्य के पाटन जिले में स्थित है। इस मंदिर की नक्काशी और यहां लगी मूर्तियों की खूबसूरती न केवल मन मोह लेती है बल्कि अपने वैभवशाली इतिहास पर गर्व भी कराती है। साल 2001 में इस बावड़ी से 11वीं और 12वीं शताब्दी में बनी दो मूर्तियां चोरी कर ली गईं थी। इनमें एक मूर्ति गणपति की और दूसरी ब्रह्मा-ब्रह्माणि की थी। भारत की इस विरासत को यूनेस्को ने साल 2014 में विश्व विरासत की सूची में शामिल किया है। यूनेस्को ने इस बावड़ी को भारत में स्थित सभी बावड़ियों की रानी के खिताब से नवाजा है।

10वीं सादी में निर्मित यह बावड़ी सोलंकी वंश की भव्यता को दर्शाती है। इस बावड़ी की लंबाई 64 मीटर, चौड़ाई 20 मीटर और गहराई 27 मीटर है। गुजराती भाषा में बावड़ी को बाव कहते हैं इसलिए इसे रानी की बाव कहा जाता है क्योंकि इस बावड़ी का निर्माण रानी उदयामति ने कराया था। रानी की इस बाव का निर्माण साल 1063 में किया गया था। इस बाव की दीवारों पर भगवान राम, वामनावतार, महिषासुरमर्दिनी, कल्कि अवतार और भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों के चित्र अंकित हैं। सनातन धर्म में प्यासे को पानी पिलाना ही सबसे बड़ा पवित्र कर्म बताया जाता है।

इसी कारण हमारे राजा-महाराज जगह-जगह राहगीरों के लिए बावड़ियों का निर्माण कराते थे। इस बावड़ी की दीवारों पर अंकित धार्मिक चित्र और नक्काशी इस बात का प्रतिनिधित्व करते हैं कि उस समय हमारे समाज में धर्म और कला के प्रति कितना समर्पण था। यह बावड़ी वास्तु के लिहाज से भी बहुत विकसित मानी जाती है।रानी उदयामति सोलंकी राजवंश के राजा भीमदेव प्रथम की पत्नी थीं। राजा की मृत्यु के बाद उन्होनें राजा की याद में इस बावड़ी का निर्माण कराया था। इस बावड़ी में कई स्तर की सीढ़ियां हैं और यह देखने में बेहद सुंदर लगती है। पहली नजर में इसे देखने पर, धरती में गढ़े किसी छोटे सुंदर महल का अहसास होता है।यह 7 मंजिला बावड़ी है और मारू-गुर्जर शैली का जीवंत साक्ष्य है और भारत में बावड़ियों के निर्माण की गाथा को दर्शाती है।

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