10,000 रुपये एसी रूम वाला उपरीत अब बिना पंखे की हवालात में

मेडिकल व सामाजिक क्षेत्र में कल तक योगेश उपरीत का नाम बड़े आदर से लिया जाता था, लेकिन आज हर रसूखदार दूर भाग रहा है। फिजिक्स का प्रोफेसर व अनेक बड़े पदों पर रहने के कारण कई पूर्व और वर्तमन मंत्री पैर छूते थे, लेकिन उम्र के अंतिम पड़ाव में

By manoj yadavEdited By: Publish:Sun, 07 Jun 2015 08:59 PM (IST) Updated:Sun, 07 Jun 2015 09:02 PM (IST)
10,000 रुपये एसी रूम वाला उपरीत अब बिना पंखे की हवालात में

ग्वालियर। मेडिकल व सामाजिक क्षेत्र में कल तक योगेश उपरीत का नाम बड़े आदर से लिया जाता था, लेकिन आज हर रसूखदार दूर भाग रहा है। फिजिक्स का प्रोफेसर व अनेक बड़े पदों पर रहने के कारण कई पूर्व और वर्तमन मंत्री पैर छूते थे, लेकिन उम्र के अंतिम पड़ाव में की गई एक चूक ने योगेश उपरीत को अपोलो हॉस्पिटल के 10 हजार प्रतिदिन के एसी रूम से बगैर पंखे वाली हवालात में पहुंच गया। हालांकि एसआईटी उनकी उम्र और प्राइवेट डॉक्टरों की रिपोर्टों को देखते हुए गर्मी के मौसम पूरा ध्यान रख रही है।

उपरीत दवाओं की पोटली व मेडिकल जांचों की पूरी फाइल अपने साथ लाए हैं। मूल रूप से हरदा के रहने वाले उपरीत फिजिक्स के प्रोफेसर हैं। प्रोफेसरी करने के लिए वर्षों पहले जबलपुर में बस गए। राजनीतिक क्षेत्र में पहुंच खने वाले उपरीत जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के डीन और व्यापमं में निदेशक भी रह चुके हैं। इन्हें प्रदेश में डीमेट का जनक भी माना जाता था।

ऐसे पहुंच गया हवालात

75 साल की उम्र में उपरीत कई बड़े पदों रहे, लेकिन कोई उनके दामन पर कीचड़ नहीं उछल सका। व्यापमं के निदेशक रहने के कारण इनके नितिन महिंद्रा से मधुर संबंध थे। नितिन ने उपरीत से कह रखा था कि कभी किसी का पीएमटी और प्री-पीजी में सिलेक्शन कराना हो तो बताना। डीमेट से एक चौथाई खर्च में करा दूंगा। इसी बीच उपरीत से उनके मित्र विजय श्रीवास्तव ने भतीजे राहुुल श्रीवास्तव की दोस्त डॉ. ऋचा जौहरी का डीमेट से प्री-पीजी कराने के लिए कहा, क्योंकि दोनों शादी करने वाले थे। दोस्ती के नाते उपरीत ने विजय श्रीवास्तव को सलाह दी कि डीमेट से प्री-पीजी करने में 1 करोड़ का खर्च आ जाएगा।

मेरे कहने पर निजी मेडिकल कॉलेज संचालक 10 से 15 लाख रुपए कम कर देंगे, लेकिन नितिन महिंद्रा के जरिए यह काम डीमेट से एक चौथाई खर्च में आसानी से हो जाएगा। उपरीत ने विजय व राहुल श्रीवास्तव को महिंद्रा से मिलवा दिया। सौदा 25 लाख में तय हुआ। उपरीत ने श्रीवास्तव से लिए 25 लाख रुपए लिए थे, लेकिन महिंद्रा तक 18 लाख ही पहुंचे। एसआईटी की गिरफ्त में आते ही महिंद्रा ने उपरीत का नाम खोल दिया। यही चूक जिंदगी में उन पर सबसे भारी पड़ी।

पहले से था अंदेशा था

उपरीत को पहले पता था कि महिंद्रा ने उनका नाम ले दिया है। एसआईटी जांच कर रही है और गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है। इसी कारण वह गिरफ्तारी से बचने के लिए कैंसर का इलाज कराने के लिए अपोलो हॉस्पिटल दिल्ली में भर्ती हो गया। बनाई हितकारिणी सभा उपरीत ने जीवन के काले पन्नों को छिपाने और समाज में प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए जबलपुर में हितकारिणी सभा की स्थापना की। इसके माध्यम से गरीब बच्चों के रोजगार व शिक्षा की व्यवस्था की जाती है।

रसूखदारों को किया उपकृत

उपरीत ने कई नेता, अधिकारी व उद्योगपतियों के बेटे-बेटियों का डीमेट के जरिए आसानी से निजी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन कराकर उन्हें उपकृत किया है। उनके नाम से एमवीबीएस में 5 से 7 लाख व प्री-पीजी में 10 से 15 लाख की छूट आसानी से मिल जाती थी। इसके कारण कई रसूखदार उसके अहसान तले दबे हैं।

[साभार- नई दुनिया]

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