समान नागरिक संहिता पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट नहीं करेगा सुनवाई, हाईकोर्ट के मामलों को स्थानांतरित करने से इन्कार

Supreme Court on Uniform Civil Code सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग वाली याचिकाएं दिल्ली हाई कोर्ट से अपने यहांं स्थानांतरित करने की मांग पर विचार करने से मना कर दिया है। जानें शीर्ष अदालत ने क्‍या कहा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Mon, 19 Sep 2022 09:32 PM (IST) Updated:Mon, 19 Sep 2022 10:11 PM (IST)
समान नागरिक संहिता पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट नहीं करेगा सुनवाई, हाईकोर्ट के मामलों को स्थानांतरित करने से इन्कार
सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग वाली याचिकाओं को स्थानांतरित करने से इन्कार कर दिया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग वाली याचिकाएं दिल्ली हाई कोर्ट से शीर्ष अदालत में स्थानांतरित किए जाने की मांग पर विचार करने से सोमवार को इन्कार कर दिया। इसका सीधा अर्थ है कि सुप्रीम कोर्ट समान नागरिक संहिता पर फिलहाल कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। हालांकि अलग-अलग मुद्दों पर कुछ याचिकाएं कोर्ट में लंबित हैं जिसे एक साथ मिलाकर समान नागरिक संहिता के रूप में देखा जा रहा है।

याचिकाओं में की गई थी यह मांग 

दानिश इकबाल, निघत अब्बास, फिरोज बख्त अहमद और अंबर जैदी ने सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरण याचिकाएं दाखिल कर समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग वाली उनकी दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित करने और समान नागरिक संहिता से जुड़े मुद्दों को उठाने वाली पहले से लंबित याचिकाओं के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने की मांग की थी।

स्थानांतरण याचिकाओं पर सुनवाई से इन्कार

प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने स्थानांतरण याचिकाओं पर सुनवाई से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट में लंबित अपनी याचिकाएं वापस ले लें और सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल करें। ध्यान रहे कि अब तक सुप्रीम कोर्ट में सीधे तौर पर समान नागरिक संहिता का कोई मामला विचाराधीन नहीं है।

दिल्ली हाईकोर्ट में समान नागरिक संहिता के छह मामले लंबित

अगर हाई कोर्ट से इसे स्थानांतरित किया जाता तो यह पहला मामला होता। दिल्ली हाईकोर्ट में समान नागरिक संहिता के छह मामले लंबित हैं। हाई कोर्ट से उन पर केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी हुआ था और केंद्र सरकार ने पिछले साल ही हाई कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया था जिसमें इस मुद्दे पर गहनता से अध्ययन की जरूरत बताई थी लेकिन कहा था कि यह मामला विधायिका के विचार करने का है। इस पर कोर्ट को आदेश नहीं देना चाहिए।

अश्वनी उपाध्याय की पांच याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित

छह में से चार याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामला हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित करने और यहीं सुनवाई करने का अनुरोध किया था। गौरतलब है कि वकील अश्वनी उपाध्याय की पांच याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं जिनमें समान नागरिक संहिता से जुड़े पांच महत्वपूर्ण मुद्दों शादी की समान आयु, तलाक, भरणपोषण, उत्तराधिकार, गोद लेना तथा संरक्षक कानूनों को सभी के लिए समान बनाने की मांग की गई है। इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सरकार को नोटिस भी जारी कर चुका है। 

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