केंद्र और दिल्ली सरकार की शक्तियों से जुड़े मुद्दे पर 11 अक्टूबर को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, 27 सितंबर को तैयार होगी रूपरेखा

पिछले दिनों सीजेआई यूयू ललित (CJI UU Lalit) की अगुआई वाली पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील एएम सिंघवी की उन दलीलों पर गौर किया था कि कुछ तात्कालिकता के चलते मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Wed, 07 Sep 2022 11:23 AM (IST) Updated:Wed, 07 Sep 2022 11:42 AM (IST)
केंद्र और दिल्ली सरकार की शक्तियों से जुड़े मुद्दे पर 11 अक्टूबर को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, 27 सितंबर को तैयार होगी रूपरेखा
केंद्र एवं दिल्ली सरकार के बीच सरकारी शक्तियों को लेकर है मामला

माला दीक्षित, नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 11 अक्टूबर से सुनवाई शुरू कर सकता है। दिल्ली और केंद्र के बीच चल रहे अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग विवाद पर कोर्ट 27 सितंबर को इस सुनवाई की रूपरेखा तय करेगा। कोर्ट में यह सुनवाई पूरी तरह से पेपरलेस होगी।  बुधवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई ग्रीन बेंच की तरह होगी। कोई भी फाइलों या पेपर की हार्ड कॉपी न लाएं। वहीं, इस संबंध में वकीलों को रजिस्ट्री दो दिन की ट्रेनिंग भी देगी।

दिल्ली और केंद्र के बीच चल रहे अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 11 अक्टूबर से शुरू कर सकती है सुनवाई। 27 सितंबर को कोर्ट तय करेगा सुनवाई की रूपरेखा। सुनवाई पूरी तरह पेपरलेस होगी। वकील फाइल लेकर नहीँ आएंगे लैपटॉप पर होगी केस फाइल।@JagranNews— Mala Dixit (@mdixitjagran) September 7, 2022

पिछले दिनों सीजेआई यूयू ललित की अगुआई वाली पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील एएम सिंघवी की उन दलीलों पर गौर किया था कि कुछ तात्कालिकता के चलते मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

छह मई को दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण का मुद्दा भेजा गया था संविधान पीठ के पास 

इससे पहले शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को कहा था कि उसने केंद्र तथा दिल्ली सरकार की कार्यकारी शक्तियों से संबंधित मुद्दों पर सुनवाई के लिए जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में संविधान पीठ का गठन किया है। कोर्ट ने छह मई को दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण का मुद्दा संविधान पीठ के पास भेजा था।

बता दें कि यह याचिका 14 फरवरी, 2019 के विभाजित फैसले को ध्यान में रखते हुए दायर की गई है। इसमें जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण (अब दोनों सेवानिवृत्त) की पीठ ने मुद्दे पर अंतिम फैसला लेने के लिए तीन सदस्यीय पीठ के गठन की सिफारिश की थी।

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