सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज के खिलाफ यौन उत्पीड़न की जांच रोकी, हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्य प्रदेश के एक जिला न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न आरोपों की अनुशासनिक जांच पर रोक लगा दी है। जानें शीर्ष अदालत ने क्‍या कहा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 05 Sep 2020 06:01 AM (IST) Updated:Sat, 05 Sep 2020 06:01 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज के खिलाफ यौन उत्पीड़न की जांच रोकी, हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज के खिलाफ यौन उत्पीड़न की जांच रोकी, हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से मांगा जवाब

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्य प्रदेश के एक जिला न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न आरोपों की अनुशासनिक जांच पर रोक लगा दी है। साथ ही मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से जवाब मांगा है। बता दें कि एक महिला न्यायिक अधिकारी ने जिला न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाया है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ कहा कि जब कोई ऊपरी अदालत के न्यायाधीश के रूप में प्रोन्नत के लिए विचार करने के क्षेत्र में आ जाता है तो अब यह एक परंपरा सी बन गई है।

शीर्ष कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने जिला न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न जांच को हरी झंडी दे दी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, जिला न्यायाधीश के नाम पर हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में प्रोन्नत किए जाने पर विचार होना था। बीते 14 अगस्त को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जिला न्यायाधीश की याचिका खारिज कर दी थी। अधीनस्थ न्यायिक सेवा की एक महिला न्यायिक अधिकारी ने सात मार्च 2018 को जिला न्यायाधीश के खिलाफ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी।

हाईकोर्ट ने 14 अगस्त को लैंगिक संवेदनशीलता आंतरिक शिकायत समिति को उक्‍त जिला जज के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच जारी रखने का आदेश दिया था। अधीनस्थ न्यायिक सेवा की महिला न्यायिक अधिकारी ने सात मार्च 2018 को जिला जज के खिलाफ कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने जिला न्यायाधीश की ओर से वरिष्ठ वकील आर बालासुब्रमणियन और अधिवक्ता सचिन शर्मा की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ओर से बैठाई गई आंतकरिक शिकायत समिति को नोटिस जारी किया।

जिला न्यायाधीश ने अपनी याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट ने आंतरिक शिकायत समिति की 30 अप्रैल 2019 की अंतिम रिपोर्ट में कोई अवैधता नहीं पाई। समिति को जज के खिलाफ कार्यवाही के लिए कोई सुबूत नहीं मिला था जिसको 23 अप्रैल के प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से दर्ज किया गया था। याचिका में कहा गया है कि मामले में कोई साक्ष्य नहीं मिलने के बावजूद समिति ने अनुशासनाात्मक कार्रवाई के साथ ही उत्पीड़न कानून के तहत कार्रवाई की सिफारिश की। याचिकाकर्ता का कहना है कि उसका 32 साल लंबा न्यायिक सेवा का कार्यकाल बेदाग रहा है और वह 2020 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।  

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