उच्चतम न्यायालय ने कहा- नियोक्ता को नियुक्ति से इनकार करने का है अधिकार

उच्चतम न्यायालय ने कहा न्यायिक सेवा के व्यक्ति से असंदिग्ध आचरण की अपेक्षा की जाती है। याचिकाकर्ता का न्यायिक सेवा में हुआ था चयन बाद में नहीं हुई नियुक्ति। अदालत ने कहा कि राज्य की न्यायिक सेवा में पदासीन व्यक्ति से असंदिग्ध चरित्र और आचरण की अपेक्षा की जाती है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Wed, 14 Oct 2020 08:56 AM (IST) Updated:Wed, 14 Oct 2020 08:56 AM (IST)
उच्चतम न्यायालय ने कहा- नियोक्ता को नियुक्ति से इनकार करने का है अधिकार
चयनित सूची में शामिल किसी अभ्यर्थी की नियुक्ति करने से इनकार करने का अधिकार।

नई दिल्ली, प्रेट्र। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि नियोक्ता को वैध आधार पर चयनित सूची में शामिल किसी अभ्यर्थी की नियुक्ति करने से इन्कार करने का अधिकार है। अदालत ने कहा कि राज्य की न्यायिक सेवा में पदासीन व्यक्ति से असंदिग्ध चरित्र और आचरण की अपेक्षा की जाती है। शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

उच्च न्यायालय ने इस व्यक्ति को जिला न्यायाधीश (प्रवेश स्तर) के पद पर नियुक्ति के अनुपयुक्त पाया था। न्यायमूíत अशोक भूषण और एमआर शाह की पीठ ने अपने फैसले में कहा, चयनित सूची में नाम शामिल होना मात्र ही किसी प्रत्याशी को अधिकार प्रदान नहीं करता है। नियोक्ता को चयनित सूची में शामिल व्यक्ति को किसी वैध आधार पर नियुक्ति करने से इन्कार करने का अधिकार है। राज्य की न्यायिक सेवा में पदासीन व्यक्ति से असंदिग्ध चरित्र और आचरण की अपेक्षा की जाती है।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पात्रता रखने वाले वकीलों से उच्च न्यायिक सेवा में जिला न्यायाधीश (प्रवेश स्तर) पर सीधी भर्ती के लिए मार्च 2017 में आवेदन आमंत्रित किया था। याचिकाकर्ता ने इस विज्ञापन के आधार पर ऑनलाइन आवेदन किया। मुख्य परीक्षा में सफल घोषित किए जाने के बाद उसे साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था। इस व्यक्ति का नाम तदर्थ और प्रतीक्षा सूची में शामिल किया गया था। उसे विधि एवं विधायी विभाग से अप्रैल 2018 में संदेश भी मिला कि इस पद के लिए उसका चयन हो गया है।

बाद में जुलाई 2018 में उसे सूचित किया गया कि उसके खिलाफ आपराधिक मामला है और करीब दो महीने बाद विधि एवं विधायी विभाग ने उसे अयोग्य घोषित करते हुए चयनित व्यक्तियों की सूची से उसका नाम हटा दिया।

खास बात:

च्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि नियोक्ता को वैध आधार पर चयनित सूची में शामिल किसी अभ्यर्थी की नियुक्ति करने से इन्कार करने का अधिकार है। 

chat bot
आपका साथी