सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सबरीमाला में महिलाओं को अनुमति का फैसला 'अंतिम' नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केरल के सबरीमाला अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाला उसका फैसला अंतिम नहीं है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 05 Dec 2019 09:50 PM (IST) Updated:Thu, 05 Dec 2019 09:50 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सबरीमाला में महिलाओं को अनुमति का फैसला 'अंतिम' नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सबरीमाला में महिलाओं को अनुमति का फैसला 'अंतिम' नहीं

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केरल के सबरीमाला अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाला उसका फैसला 'अंतिम' नहीं है। इसका कारण यह है कि इसे बड़ी पीठ को भेजा गया है। शीर्ष अदालत ने महिला श्रद्धालु बिंदू अम्मिनी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह की दलीलों पर यह टिप्पणी की।

वकील ने लगाया आरोप 

वकील ने आरोप लगाया कि कोर्ट के 2018 के फैसले का उल्लंघन हो रहा है और मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश के दौरान उनकी मुवक्किल पर हमला किया गया। कोर्ट बिंदु की याचिका समेत इस तरह की अन्य याचिकाओं पर अगले सप्ताह सुनवाई को तैयार हो गया है। एक अन्य महिला फातिमा भी इसी तरह की याचिका लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं।

अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि 2018 का फैसला अंतिम नहीं है, क्योंकि यह मुद्दा सात जजों की पीठ के पास विचार के लिए भेजा गया है।पीठ ने कहा, 'मामले में फैसला के लिए इसे बड़ी पीठ को भेजने का आदेश है। अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।'

सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजने का आदेश

उल्लेखनीय है कि 14 नवंबर को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से शीर्ष कोर्ट के 2018 के ऐतिहासिक फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजने का आदेश दिया था। नई पीठ मुस्लिम और पारसी महिलाओं के साथ कथित भेदभाव पर भी विचार करेगी।

गौरतलब है कि सितंबर, 2018 में पांच जजों की एक संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत वाले फैसले में अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की यह कहते हुए इजाजत दी थी कि शारीरिक स्थिति के आधार पर भेदभाव संविधान प्रदत्त समानता जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

जयसिंह ने कहा कि उनकी मुवक्किल पर पुलिस आयुक्त के कार्यालय के ठीक बाहर हमला किया गया। शीर्ष अदालत ने 14 नवंबर के आदेश में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की इजाजत देने वाले अपने पूर्व फैसले पर रोक नहीं लगाई थी। उन्होंने कहा, 'बिंदु पर कुछ रासायनिक पदार्थों से हमला किया गया था।'

इसके बाद पीठ ने महिला श्रद्धालु की याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई की सहमति दे दी। पीठ ने कहा कि यह याचिका पूर्व की दूसरी याचिकाओं के साथ अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएगी।

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