सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला पलटा, कहा- सड़क दुर्घटना में योगदान के आरोप पर चूक भी बताई जाए

सड़क दुर्घटना से संबंधित एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति पर सड़क दुर्घटना में योगदान के लिए लापरवाही का आरोप लगाया जा रहा है उसमें उसकी किसी न किसी चूक या कृत्य की भूमिका का उल्लेख किया जाना चाहिए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 10:27 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 10:32 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला पलटा, कहा- सड़क दुर्घटना में योगदान के आरोप पर चूक भी बताई जाए
सड़क दुर्घटना से संबंधित एक मामले में सुप्रीम कोर्ट

 नई दिल्ली, प्रेट्र। सड़क दुर्घटना से संबंधित एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति पर सड़क दुर्घटना में योगदान के लिए लापरवाही का आरोप लगाया जा रहा है उसमें उसकी किसी न किसी चूक या कृत्य की भूमिका का उल्लेख किया जाना चाहिए। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कर्नाटक हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ एक महिला और उसके नाबालिग बच्चों की अपील पर अपने फैसले में यह टिप्पणी की।

टक्कर से बचने में नाकामी अपने आप में लापरवाही नहीं है

हाई कोर्ट ने कहा था कि महिला के दिवंगत पति भी लापरवाही के दोषी हैं। ट्रक से टक्कर में संलिप्त कार इस महिला के पति चला रहे थे और वे भी लापरवाही में योगदान के दोषी हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में महिला और उसके नाबालिग बच्चे मुआवजे की निर्धारित राशि के केवल 50 प्रतिशत के हकदार हैं। हालांकि शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट का निर्णय पलटते हुए कहा कि कुछ असाधारण सावधानी बरतकर टक्कर से बचने में नाकामी अपने आप में लापरवाही नहीं है।

पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट का निष्कर्ष ऐसे किसी सुबूत पर आधारित नहीं है। यह महज एक अनुमान है कि यदि कार का चालक सतर्क होता और यातायात नियमों का पालन करते हुए वाहन सावधानीपूर्वक चलाता, तो यह दुर्घटना नहीं होती। पीठ ने छह अक्टूबर के अपने आदेश में कहा कि रिकार्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है कि कार का चालक मध्यम गति से गाड़ी नहीं चला रहा था या उसने यातायात नियमों का पालन नहीं किया था।

इसके विपरीत, हाई कोर्ट का मानना है कि यदि ट्रक को राजमार्ग पर खड़ा नहीं किया गया होता तो कार की गति तेज होने पर भी दुर्घटना नहीं होती। पीठ ने अपील स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट के फैसले को संशोधित किया और नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ कुल 5,08,996 रुपये के मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया।

इस मामले में 10 फरवरी, 2011 को चालक की कार एक ट्रक से उस समय सामने से टकरा गई जब उसके चालक ने किसी संकेत के बगैर अपना वाहन अचानक ही रोक दिया था। इस हादसे में कार चला रहे युवक को गंभीर चोटें लगीं और उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई थी।याचिकाकर्ताओं ने ट्रक चालक की लापरवाही के कारण यह दुर्घटना होने का दावा करते हुए मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में 54,10,000 रुपये के मुआवजे का दावा किया था।

chat bot
आपका साथी