सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति को अंतरिम जमानत देने का आदेश किया रद

न्यायमूर्ति अशोक भूषण आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर यह फैसला सुनाते हुए कहा कि हाई कोर्ट का तीन सितंबर का आदेश संतोषप्रद नहीं है। प्रजापति समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Thu, 15 Oct 2020 10:14 PM (IST) Updated:Thu, 15 Oct 2020 10:14 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति को अंतरिम जमानत देने का आदेश किया रद
उस पर अन्य लोगों के साथ एक महिला का दुष्कर्म करने का आरोप है।

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म मामले में आरोपित उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को मेडिकल आधार पर दो महीने की अंतरिम जमानत देने का इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश गुरुवार को निरस्त कर दिया।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर यह फैसला सुनाते हुए कहा कि हाई कोर्ट का तीन सितंबर का आदेश संतोषप्रद नहीं है। प्रजापति समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री था। उस पर अन्य लोगों के साथ एक महिला का दुष्कर्म करने और उसकी नाबालिग बेटी से छेड़छाड़ करने के प्रयास का आरोप है।

पीठ ने कहा, हाई कोर्ट ने प्रजापति को मिल रहा उपचार अपर्याप्त होने और उसे किसी विशेष मेडिकल संस्थान से आगे उपचार की जरूरत के लिए अंतरिम राहत देने के बारे में अपनी संतुष्टि दर्ज नहीं की है। उसने रिकॉर्ड पर उपलब्ध सारी सामग्री पर विचार किए बगैर ही आदेश पारित कर दिया।

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर लगाया था स्टे

बता दें कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश मेडिकल ग्राउंड के आधार पर पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को मिली अंतरिम जमानत पर स्टे लगाया था। सामूहिक दुष्कर्म तथा पॉक्सो के मामले में जेल में बंद प्रजापति को दो महीने की अंतरिम बेल मिली थी। पूर्व खनन मंत्री सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में लखनऊ जेल में बंद थे। जस्टिस वेद प्रकाश वैश्य की कोर्ट ने उन्हेंं पांच लाख रुपए के पर्सनल बॉन्ड और दो जमानतदारों की शर्त के साथ बेल दी थी। इसके साथ ही शर्त रखा था कि गायत्री प्रजापति देश से बाहर नहीं जाएंगे।

हाई कोर्ट ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को सामूहिक दुष्कर्म मामले में बीती चार को मेडिकल ग्राउंड पर दो महीने की अंतरिम जमानत दी थी। गायत्री ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में हार्ट तथा यूरीन इंफेक्शन इत्यादि की दिक्कतें बताई थीं। इसके साथ ही लखनऊ मेडिकल यूनिवर्सिटी में कोविड-19 के संक्रमण का भी खतरा बताया था। 

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