निर्भया दुष्कर्म कांडः दरिंदों की फांसी पर सुप्रीमकोर्ट ने लगाई मुहर

दिल्ली हाईकोर्ट ने मुकेश, पवन, अक्षय और विनय की फांसी की सजा पर अपनी मुहर लगाई थी जिसके खिलाफ दोषी सुप्रीमकोर्ट पहुंचे थे।

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Thu, 04 May 2017 09:20 PM (IST) Updated:Fri, 05 May 2017 02:39 PM (IST)
निर्भया दुष्कर्म कांडः दरिंदों की फांसी पर सुप्रीमकोर्ट ने लगाई मुहर
निर्भया दुष्कर्म कांडः दरिंदों की फांसी पर सुप्रीमकोर्ट ने लगाई मुहर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। फांसी की सजा पाए दिल्ली दुष्कर्म कांड के दोषियों की अपील पर सुप्रीमकोर्ट ने फैसला सुना दिया। निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ने चार दोषियों मुकेश, पवन, अक्षय और विनय को फांसी की सजा  बरकरार रखा। 

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति व न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ दोषियों की याचिका पर अपना फैसला सुनाई।

16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में पैरा मेडिकल की छात्रा निर्भया (नाम बदला) सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई थी। दुष्कर्मियों के अमानवीय व्यवहार और चोटों के कारण बाद में उसकी मौत हो गई थी। इस कांड से पूरा देश हिल गया था और बाद में दुष्कर्म से जुड़े कानून में भी बदलाव कर उसे कठोर किया गया ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं का दोहराव न हो।

साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सितंबर 2013 में चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 13 मार्च 2014 को मुहर लगा दी थी। दोषियों ने वकील एमएल शर्मा और एमएम कश्यप के जरिये सुप्रीमकोर्ट में अपील दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने दोषियों की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनका अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है।

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दोषी सुप्रीमकोर्ट आये हैं। निर्भया कांड का एक आरोपी नाबालिग था जिस पर जुविनाइल जस्टिस एक्ट के तहत जुविनाइल बोर्ड में मुकदमा चला। कानून के मुताबिक वह अपनी सजा पूरी कर छूट चुका है। हालांकि नाबालिग के छूटने पर भी देश में लंबी बहस छिड़ी जिसके बाद कानून में संशोधन किया गया और जघन्य अपराध में आरोपी 16 से 18 वर्ष के बीच के किशोरों पर सामान्य अदालत में मुकदमा चलाने के दरवाजे खोले गये।

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