अमन व खुशहाली के लिए सेना का ताकतवर होना जरुरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि शांति, विकास, खुशहाली, आपसी सद्भाव, भाईचारा और क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने के लिए देश की सेनाओं का ताकतवर होना जरूरी है। ऐसा माहौल होने पर ही हमारा देश दुनिया के विकसित देशों में शामिल होगा। शुक्रवार को वह सरहदों की हिफाजत के लिए जिम्मेदार सेना क

By Edited By: Publish:Fri, 04 Jul 2014 09:39 PM (IST) Updated:Fri, 04 Jul 2014 09:54 PM (IST)
अमन व खुशहाली के लिए सेना का ताकतवर होना जरुरी

श्रीनगर, [नवीन नवाज]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि शांति, विकास, खुशहाली, आपसी सद्भाव, भाईचारा और क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने के लिए देश की सेनाओं का ताकतवर होना जरूरी है। ऐसा माहौल होने पर ही हमारा देश दुनिया के विकसित देशों में शामिल होगा।

शुक्रवार को वह सरहदों की हिफाजत के लिए जिम्मेदार सेना की चिनार कोर के बादामी बाग स्थित मुख्यालय में सैनिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सैन्य अधिकारियों व जवानों की वीरता, कर्तव्यनिष्ठा और बलिदान की भावना की सराहना करते हुए कहा कि हमें युद्ध सामग्री, सैन्य साजो सामान के निर्माण में भी पूरी तरह आत्मनिर्भर होना पड़ेगा। हम इसके लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि रक्षा उपकरणों का स्वदेशी निर्माण देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए बहुत जरुरी है। इसके लिए आप दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकते।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने अपनी सेनाओं के अत्याधुनिकीकरण को प्राथमिकताओं में रखा है। आज पूरा विश्व हम पर उम्मीदभरी नजरें गड़ाए हुए है। हम बराबरी के आधार पर सभी विकसित मुल्कों के साथ नजरें मिलाकर बात करना चाहते हैं।

इस मौके पर राष्ट्र की अस्मिता, एकता और अखंडता के लिए शहीद हुए जवानों के युद्ध स्मारक के निर्माण की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए मोदी ने कहा कि सैन्याधिकारियों, जवानों और उनके परिजनों का कल्याण पूरे देश की जिम्मेदारी है। हमारी सरकार सेना व सेना के जवानों के हित में ही यथासंभव फैसले लेगी। इस मौके पर चिनार कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा व अन्य वरिष्ठ सैन्याधिकारियों ने उनका स्वागत किया और उन्हें नियंत्रण रेखा की मौजूदा सुरक्षा परिस्थितियों से अवगत कराया।

1200 साल पुराने शिव मंदिर के दर्शन भी किए

प्रधानमंत्री ने बादामी बाग स्थित शहीद स्मारक पर जाकर शहीद सैन्यकर्मियों को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने के अलावा स्मारक पर रखी गई आगुंतक डायरी में अपने स्मरण और अनुभव लिखे। इसके बाद वह निकट ही स्थित 1200 साल पुराने शिव मंदिर भी गए।

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