नाग पंचमी विशेष: जानिए, इस दिन नाग देवता को क्यों चढ़ाते हैं दूध

सनातन धर्म की परंपराओं वाले अपने देश में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर नाग पूजन का विधान है। इसलिए इस तिथि नाग पंचमी कहलाती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 14 Aug 2018 06:35 PM (IST) Updated:Wed, 15 Aug 2018 09:32 PM (IST)
नाग पंचमी विशेष: जानिए, इस दिन नाग देवता को क्यों चढ़ाते हैं दूध
नाग पंचमी विशेष: जानिए, इस दिन नाग देवता को क्यों चढ़ाते हैं दूध

नई दिल्ली, जेएनएन। सनातन धर्म की अद्भुत परंपराओं वाले अपने देश में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर नाग पूजन का विधान है। इसलिए इस तिथि नाग पंचमी कहलाती है। नाग पंचमी इस बार 15 अगस्त को मनेगी। पंचमी तिथि 15 अगस्त बुधवार की सुबह 7.24 बजे लग रही है जो 16 अगस्त को सुबह 6.08 बजे तक रहेगी। इस अवधि में हस्त नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग विशिष्ट होगा।

वैदिक चिंतन के अनुसार, पर्यावरण तथा वन संपदा की रक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं नाग। ये न सिर्फ फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जीवों से रक्षा करते हैं, बल्कि कृषि संपदा को भी सुरक्षित रखते हैं। तभी हिंदू धर्म संस्कृति में इन्हें विशिष्ट जीव माना गया है। और इनकी पूजा करने की बात कही गई है। तभी तो शिवजी गले में नाग की माला पहनते हैं। देवाधिदेव महादेव के साथ नाग पूजन की परंपरा आदि काल से चली आ रही है।

जिस तरह भक्तगण श्रावण मास में जलाभिषेक कर भोलेनाथ को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाते हैं, उसी तरह श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नागों को समर्पित है। इसीलिए यह तिथि नागपंचमी के नाम से जानी जाती है। इस वर्ष यह तिथि 15 अगस्त को है। इस दिन देश के कई राज्यों में सर्प पूजन होगी।

नाग पंचमी के दिन नाग के 12 स्वरूपों की पूजा होती है और दूध भी चढ़ाया जाता है। इनके आवास को नागलोक कहा गया है। गरुड़ पुराण, भविष्य पुराण, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता आदि ग्रंथों में इनका वर्णन मिलता है। श्रीमद्भागवत पुराण में भी नागों का उल्लेख मिलता है। श्रीमद्भागवत में दक्ष प्रजापति की पुत्री कद्रू और कश्यप ऋ षि की संतान के रूप में नागों की उत्पत्ति का रोचक वृत्तांत मिलता है।

नाग पंचमी का त्यौहार उत्तर भारत में श्रावण शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। इस बार नाग पंचमी 15 अगस्त को मनाई जा रही है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने और उन्हें दूध चढ़ाने की परंपरा है। कई इलाकों में आज के दिन दंगल भी आयोजित किए जाते हैं। लेकिन हर किसी के मन में होगा कि नाग पंचमी पर नाग देवता को दूध चढ़ाने या सापों को दूध पिलाने के पीछे क्या कहानी है। तो आइए जानते हैं नाग पंचमी पर सांपों को दूध क्यों पिलाया जाता है।

हिन्दू धर्म की कथाओं में कहा गया है नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने और उन्हें दूध पिलाने से लक्ष्मी घर आती हैं। दूध पिलाने से नाग देवता खुश होते हैं और उनकी कृपासे घर से लक्ष्मी कभी बाहर नहीं जातीं। नाग देवता की पूजा करने से लोगों को सर्पदंश का भय भी नहीं रहता। हालांकि जंतु वैज्ञानिकों का मानना है कि सांपों को दूध नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि उसकी शारीरिक बनावट ऐसी नहीं होती कि वह दूध को पचा पाए।

सांपों की पूजा का दूसरा कारण और महत्वपूर्ण तर्क यह भी है कि भारत कृषि प्रधान देश है और सांपो चूहों आदि से खेतों की रक्षा करता है। सांप को क्षेत्रपाल नाम से भी जानते हें। शायद सांपों के इसी महत्व को देखते हुए लोगों इनकी पूजा करना शुरू किया हो। हमारे देश में जैसे कि नदियों और पेड़ों की पूजा करने की परंपरा है वैसे ही सापों को भी पूजा की जाती है।

नागों की कहानी से जुड़े भविष्य पुराण में कहा गया है कि आठ प्रमुख नागों का नाम लेने वाले इंसान को किसी जीच का भय नहीं सताता।

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