प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों की मरम्मत करेंगे राज्य, गांव की सड़कें होंगी चकाचक

गांव की सड़कों को चकाचक बनाने के लिए सरकार ने कमर कस लिये हैं। छोटे बड़े सभी गांवों को जोड़ने के लिए नई सड़क बनाने के साथ पुरानी सड़कों की मरम्मत कार्य को तेज किया जाएगा। सड़कों के बनाने का लक्ष्य निर्धारित समय से पहले ही पूरा करने का सरकार

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Fri, 25 Dec 2015 07:59 PM (IST) Updated:Fri, 25 Dec 2015 08:37 PM (IST)
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों की मरम्मत करेंगे राज्य, गांव की सड़कें होंगी चकाचक

नई दिल्ली। गांव की सड़कों को चकाचक बनाने के लिए सरकार ने कमर कस लिये हैं। छोटे बड़े सभी गांवों को जोड़ने के लिए नई सड़क बनाने के साथ पुरानी सड़कों की मरम्मत कार्य को तेज किया जाएगा। सड़कों के बनाने का लक्ष्य निर्धारित समय से पहले ही पूरा करने का सरकार ने दावा किया है।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बिरेंद्र सिंह ने कहा कि गांव के कहा कि गांवों की सड़क बनाने के लिए पीएमजीएसवाई के बजट आवंटन में वृद्धि की जाएगी।

चौधरी शुक्रवार को यहां आयोजित एक समारोह में 'मेरी सड़क' नाम का ऐप लांच करने के बाद बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि योजना की सड़क बनाने का खर्च 35 लाख से एक करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर आता है, जिसे नई प्रौद्योगिकी के उपयोग से घटाया जा रहा है। इससे बचे धन का उपयोग और सड़कें बनाई जाएंगी।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दूरदृष्टि को सलाम करते हुए चौधरी ने कहा कि उन्होंने देश को जोड़ने के लिए नदियों को जोड़ने और सड़कों से देश के गांव-गांव को जोड़ने की योजना तैयार की थी।

संपर्क बढ़ने से गांव के युवाओं की सोच में आमूल चूल परिवर्तन आया है। स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य रहन-सहन में बदलाव आया है। पीएमजीएसवाई की उपलब्धियों का बखान करते हुए चौधरी ने कहा कि योजना का 80 फीसद लक्ष्य पूरा कर लिया गया है।

बाकी रह गई सड़कों के बनाने का काम 2022 तक होना था, लेकिन हमारी सरकार ने इस अवधि को घटाकर 2019 तक कर दिया है। अभी देश में 1.78 लाख किमी लंबाई की सड़कें बनानी बाकी रह गई हैं, जिसे वर्ष 2019 में पूरा कर लिया जाएगा। अब तक 1.12 लाख गांवों को सड़कों से जोड़ दिया गया है।

मंत्रालय के अपने अधिकारियों का बखान करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी सिंह ने बताया कि वर्ष 2011-12 तक योजना के तहत प्रतिदिन 67 किमी सड़कें बनाई जाती थी। सड़कों के बनाने की गति को तेज करते हुए इसे प्रति एक सौ किमी कर दिया गया है।

सड़कों के निर्माण में आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जा रहा है, जिसमें बेकार पड़े प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है। ग्रामीण सकड़ों की मरम्मत के लिए राज्यों से कहा गया है कि वे अपने संसाधनों का उपयोग करें।

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