जवानों का तनाव और आपसी विवाद कई बार बना है अपने ही साथियों की मौत का कारण

छत्‍तीसगढ़ में आईटीबीपी के जवान द्वारा अपने ही साथी की जान लेने की घटना कोई नई नहीं है। इससे पहले भी कई बार इस तरह की घटनाएं हुई हैं।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Wed, 04 Dec 2019 03:19 PM (IST) Updated:Thu, 05 Dec 2019 12:21 AM (IST)
जवानों का तनाव और आपसी विवाद कई बार बना है अपने ही साथियों की मौत का कारण
जवानों का तनाव और आपसी विवाद कई बार बना है अपने ही साथियों की मौत का कारण

नई दिल्‍ली जागरण स्‍पेशल। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में स्थित आईटीबीपी कैंप में एक जवान द्वारा की गई अंधाधुंध फायरिंग से हुई छह जवानों की मौत से हर कोई हैरान है। इसके साथ ही यह सवाल भी उठ रहे हैं कि इस तरह की घटनाएं आखिर क्‍यों घटित होती हैं। जिस तरह की घटना नारायणपुर में घटी है वह देश में पहली नहीं है बल्कि, इसी वर्ष कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जब जवान ने अपने ही साथी जवानों की जान ली हो। इस तरह की ज्‍यादातर घटनाओं में वजह आपसी नोंकझोंक या तनाव रहा है। आईये जानते हैं कब-कब इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं। 

जनवरी 2019 

श्रीनगर के बाहरी इलाके पंथा चौक कैंप में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान ने अपने दो साथियों को गोली मारने के बाद खुद को भी गोली मार कर जान दे दी थी। आरोपी जवान मुकेश बाबू ने यह कदम आपसी कहासुनी के बाद उठाया था। अपने साथियों पर गोलियां बरसाने के बाद आरोपी ने खुद को बाथरूम में बंद कर राइफल से गोली मार ली थी।  

फरवरी 2019 

भारत-पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर स्थित बाड़मेर जिले में तैनात बीएसएफ के जवान विमल कुमार ने अपने ही दो साथियों (प्रकाश और पुरषोत्तम) को गोली मारकर घायल कर दिया था। यह घटना सेड़वा थाना इलाके में स्थित दीपला चौकी पर हुई थी। इसकी वजह भी आपसी विवाद ही था। बताया जा रहा है कि वहां ड्यूटी की बात को लेकर जवानों में आपस में विवाद हो गया था। इस पर जवान विमल कुमार ने अपनी रायफल से अपने ही दो साथी जवानों प्रकाश और पुरषोत्तम पर गोली चला दी। बाद में आरोपी जवान को गिरफ्तार कर लिया गया था। 

मार्च 2019

जम्‍मू कश्‍मीर में स्थित सीआरपीएफ कैंप में तैनात जवान ने बहस होने के बाद अपने तीन साथियों की गोली मारकर हत्‍या कर दी थी। यह घटना उधमपुर के बट्टल बलियान इलाके में बल के 187वें बटालियन शिविर में रात करीब दस बजे हुई थी। आरोपी की पहचान कांस्टेबल अजित कुमार के रूप में हुई थी। मरने वालों में राजस्थान के हेड कांस्टेबल पोकरमाल आर, दिल्ली के योगेन्द्र शर्मा और हरियाणा के उमेद सिंह के रूप में हुई थी।

मई 2019 

पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में चुनावी ड्यूटी के दौरान असम राइफल्‍स का सिपाही ने आपसी विवाद के बाद अपने ही तीन साथियों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी थीं। इस फायरिंग में असम राइफल्‍स के एएसआई भोलानाथ दास की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि दो अन्‍य जवान घायल हो गए थे। इस घटना में आरोपी ने 18 राउंड फायर किए थे। बाद में उसको गिरफ्तार कर लिया गया था। यह घटना ज्योतिर्मय गर्ल्स स्कूल में घटी थी जहां पर इन जवानों के लिए कैंप बनाए गए थे।  

सितंबर 2019 

हिमाचल प्रदेध के धर्मशाला में 18 सिख रेजिमेंट के जवान ने अपने ही  दो साथियों की गोली मारकर जान ले ली थी। बाद में आरोपी ने खुद को भी गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। इस घटना को अंजाम देने वाला आरोपी जसबीर सिंह पंजाब के जिला बरनाला का था जबकि मरने वाले हवलदार हरप्रीत सिंह तरनतारन और हरपाल सिंह गुरदासपुर के निवासी थे। 

अक्‍टूबर 2018

गाजियाबाद में लिंक रोड के एक स्कूल में रुकी हुई BSF की बटालियन के एक जवान ने आपसी कहासुनी के बाद अपने साथी जवान को गोली मार दी थी। आरोपी अजीत सिंह मलकपुर पठानकोट का रहने वाला था और दोनों ही वर्ष 2012 में सीमा सुरक्षा बल में भर्ती हुए थे। 

जनवरी 2017 

बिहार के औरंगाबाद जिले स्थित नबीनगर पॉवर जेनेरेटिंग कंपनी में तैनात CISF के जवान बलबीर कुमार नेआपसी विवाद के दौरान अपने साथियों पर गोलीबारी कर चार जवानों की हत्‍या कर दी थी। इसकी वजह भी आपसी विवाद था। इस दौरान जवान ने इनसास राइफल से 32 राउंड गोलियां चलाई थीं।  

दिसंबर 2017

छत्तीसगढ़ के बीजापुर मे आपसी झगड़े के बाद सीआरपीएफ के जवान ने अपने ही साथियों पर एके47 से अंधाधुंध गोलियां बरसा दी। इसमें चार जवानों की मौत हो गई थी। 

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