पीएम मोदी के हाथों मिली चप्पल टूट गई, दुखी रत्नीबाई सहेज रही स्मृतियों को

रत्नीबाई की बेशकीमती संपत्ति में शुमार वह चप्पल जिसे पीएम नरेंद्र मोदी ने भेंट की थी वह अब टूट गई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 10 Dec 2019 07:01 PM (IST) Updated:Tue, 10 Dec 2019 07:01 PM (IST)
पीएम मोदी के हाथों मिली चप्पल टूट गई, दुखी रत्नीबाई सहेज रही स्मृतियों को
पीएम मोदी के हाथों मिली चप्पल टूट गई, दुखी रत्नीबाई सहेज रही स्मृतियों को

पी रंजन दास, बीजापुर। रत्नीबाई की बेशकीमती संपत्ति में शुमार वह चप्पल, जिसे पीएम नरेंद्र मोदी ने भेंट की थी, वह अब टूट गई है। रत्नीबाई इससे दुखी हैं। दो महीने पहले किसी कार्यक्रम में जाते वक्त उनकी चप्पल टूटी थी। चप्पल तो टूट गई लेकिन परिवार ने उस तस्वीर को सहेज कर रखा है, जिसमें पीएम मोदी रत्नीबाई को चप्पल पहनाते नजर आ रहे हैं। अब रत्नीबाई के लिए उस क्षण की वह तस्वीर और स्मृतियां ही शेष हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी ने भेंट की थी चप्‍पल 

भैरमगढ़ के बंडपाल की रहने वाली उम्रदराज रत्नी बाई तब चर्चा में आई थीं, जब 14 अप्रैल 2018 को प्रधानमंत्री मोदी बीजापुर के जांगला आए थे उन्होंने यहां से देश को आयुष्मान भारत योजना की सौगात दी थी, तब पीएम ने तेंदूपत्ता संग्राहक रत्नी बाई को चप्पल भेंट की थी। जब तेंदूपत्ता संग्राहकों को चप्पल भेंट करने की आई, तब प्रधानमंत्री अपनी जगह से उठे और अचानक झुककर अपने हाथों से रत्नीबाई के पावों में चप्पल पहनाई। उस वक्त रत्नी बाई के पास उनकी कुटिया और चार बेटे-बहुओं, नाती-पोती से भरे-पूरे परिवार को छोड़कर दूसरी कीमती संपत्ति नहीं थी, लेकिन पीएम के हाथों मिला चप्पल एकाएक रत्‍नीबाई के लिए बेशकीमती सामान बन गया।

चप्‍पल की कद्र में कोई कसर नहीं छोड़ी

भले ही वह चप्पल थी, लेकिन पीएम के हाथों भेंट मिलने से उसकी कद्र में उसने कोई कसर नहीं छोड़ी। चोरी के डर से वह उसकी बराबर निगरानी करती थी। मिट्टी की कुटिया के एक कमरे में वह अनाज के बोरे में उसे छिपाकर रखती थी। दरवाजे की कुंडी पर ताला लगाकर चाबी 24 घंटे उनके गले में एक सूत से बंधी होती थी। चप्पल के प्रति उसका लगाव भी सुर्खियों में रहा। वह कभी कभार किसी आयोजन में ही चप्पल पहनती थी। चप्पल टूटने से दुखी रत्नी बाई बताती हैं कि उन्हें ताउम्र इस बात का मलाल रहेगा।

दोबारा पीएम से मांगेगी चप्‍पल 

रत्नी बाई कहती हैं कि पीएम अगर दोबारा बीजापुर आते हैं तो वह उनसे चप्पल जरूर मांगेंगी। रत्नी बाई के ज्येष्ठ पुत्र समरथ का कहना है कि हाट-बाजार या गांव के किसी अनुष्ठान में जाते समय ही वह बंद कमरे से चप्पल निकाल पहनती थीं। दो माह पहले जब चप्पल टूट गई, तब से मां बहुत दुखी है इसलिए स्मृति के रूप में चप्पल पहनाते तस्वीर को सहेजकर रखा है।  

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