Surgical Strike2: पाकिस्तान के लिए हमेशा काल बना है मिराज-2000 लड़ाकू विमान

मिराज का इस्तेमाल 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठियों पर लेजर निर्देशित बम गिराने से लेकर पाक के बालाकोट में आंतकी कैंप पर लेजर निर्देशित बम गिराने में हुआ है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 27 Feb 2019 11:30 AM (IST) Updated:Wed, 27 Feb 2019 11:37 AM (IST)
Surgical Strike2: पाकिस्तान के लिए हमेशा काल बना है मिराज-2000 लड़ाकू विमान
Surgical Strike2: पाकिस्तान के लिए हमेशा काल बना है मिराज-2000 लड़ाकू विमान

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। साल 1984, भारत के पड़ोसी पाकिस्तान ने अमेरिका से एफ-16 उर्फ वज्र लड़ाकू विमान खरीदे। इसकी प्रतिक्रिया में इसी साल राजीव गांधी की सरकार ने फ्रांस के साथ 49 मिराज-2000 खरीदने का सौदा किया। कई खूबियों और अद्भुत मारक क्षमता वाले ये लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं। इनका इस्तेमाल 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठियों पर लेजर निर्देशित बम गिराने से लेकर मंगलवार को पाकिस्तान के बालाकोट में आंतकी कैंप पर एक हजार पाउंड के लेजर निर्देशित बम गिराने में हुआ है।

दोहरी क्षमता बनाती है घातक
भारत के युद्ध हथियारों के रूप में मिराज 2000 परमाणु हथियार वाहक के रूप में अपनी दोहरी भूमिका में है। ये हिरोशिमा पर गिराए गए 15 किलोटन बम की तुलना में अधिक शक्तिशाली 20 किलोटन के एक परमाणु बम को ढोने में सक्षम है।

2040 तक सेना का हिस्सा
अपग्रेड और लाइफ-एक्सटेंशन के बाद मिराज 2000 भारतीय वायुसेना में 2040 तक शामिल रहेंगे। संभवत: ये भारतीय वायुसेना में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले लड़ाकू विमान होंगे। वहीं फ्रांस की वायुसेना में मिराज 2000 विमानों को हटाकर राफेल विमानों को शामिल कर लिया गया है। भारतीय सेना में राफेल और मिराज दोनों विमान शामिल है।

राफेल में बदली मिराज विमान की डील
भारतीय वायु सेना 126 मिराज 2000-5 (मिराज 2000 का उन्नत संस्करण) के लिए सौदे पर हस्ताक्षर करने के करीब थी, तभी मीडियम मल्टी रोल कॉम्बेट लड़ाकू विमान (एमएमआरसीए) में सौदा परिवर्तित कर दिया गया। आखिरकार राफेल खरीदने की डील हुई। मिराज 2000 और राफेल दोनों विमान फ्रांस की दासौ कंपनी ने बनाए है।

इस तरह किए गए उन्नत
भारत ने 2011-12 के दौरान 49 मिराज 2000 विमानों को नए ग्लास कॉकपिट्स, रडार, मिसाइलों और आत्म-सुरक्षा सेट्स के साथ 2000-5 के मानक पर अपग्रेड करने के लिए फ्रांस के साथ 17,547 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसके बाद 2015 में मिराज 2000 जेट को अपग्रेड किया गया था, ताकि ऑपरेशन के दौरान लक्ष्यों को पूरा करने में अधिक सटीकता मिल सके।

80 फीसद उपलब्धता
मिराज-2000 के बेड़े में 80 फीसद से अधिक विमान तत्काल उड़ान भरने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इसके विपरीत वायुसेना के बेड़े का केवल 60 फीसद सुखोई -30 उड़ान के लिए उपलब्ध है। रूस के लड़ाकू जेट सुखोई एसयू30एमकेआइ की गति 2120 किमी प्रति घंटे (मैक 2) है, जो मिराज-2000 की तुलना में धीमा और भारी है। वजन में हल्का और तेज रफ्तार मिराज-2000 तत्काल एक्शन का फायदा देता है।

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