Budget Session 2023: बजट सत्र का दूसरा चरण आज से, राहुल के बयान और छापों पर गर्म रहेगी संसद

संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण आज से शुरू हो रहा है। बजट सत्र का यह चरण छह अप्रैल तक चलेगा। सत्र के दौरान सरकार वित्त विधेयक सहित लंबित विधेयकों को पारित करने की तैयारी में है। फाइल फोटो।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Mon, 13 Mar 2023 06:00 AM (IST) Updated:Mon, 13 Mar 2023 06:00 AM (IST)
Budget Session 2023: बजट सत्र का दूसरा चरण आज से, राहुल के बयान और छापों पर गर्म रहेगी संसद
बजट सत्र का दूसरा चरण आज से। फाइल फोटो।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार से शुरू हो रहा है और इसके फिर से कुछ दिन हंगामेदार रहने की उम्मीद है। बजट सत्र का यह चरण छह अप्रैल तक चलेगा और कुल 17 बैठकें होंगी। सरकार की वित्त विधेयक सहित लंबित विधेयकों को पारित कराने की तैयारी है। वर्तमान में राज्यसभा में 26 और लोकसभा में नौ विधेयक पारित होने के लिए लंबित हैं।

सत्र के दौरान हंगामे के आसार

कामकाज के लिहाज से वैसे तो बजट सत्र के इस चरण को काफी अहम माना जा रहा है लेकिन कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के लंदन में दिए बयानों सहित विपक्षी दलों के नेताओं के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस तरह सीबीआइ और ईडी सक्रिय रही है, उससे सियासी पारा चढ़ा हुआ है।

सभापति जगदीप धनखड़ ने बुलाई सभी दलों के नेताओं की बैठक

इस बीच राज्यसभा के शांतिपूर्ण संचालन को लेकर सभापति जगदीप धनखड़ ने रविवार को सभी दलों के नेताओं के साथ एक बैठक की। इसमें सभी से तय नियम और प्रक्रियाओं का पालन करने को कहा गया। साथ ही सभी से सदन के शांतिपूर्ण संचालन में सहयोग की अपील भी की गई। बैठक में सदन में व्यवधान को रोकने के तरीकों पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के विचार मांगे। विपक्षी सदस्यों ने गैर-भाजपा सरकारों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग और धनखड़ के निजी कर्मचारियों को संसदीय समितियों में नियुक्त करने का मुद्दा उठाया।

अनुच्छेद 105 का दिया हवाला

सूत्रों के अनुसार धनखड़ ने सदन के नेताओं से कहा कि सदस्यों को अनुच्छेद 105 के तहत अभिव्यक्ति के नाम पर सदन में किसी को कुछ भी बोलने की अनुमति नहीं दी जा सकती। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जोर देकर कहा कि वे सरकार को जवाबदेह बनाने में एक रचनात्मक भूमिका निभाना चाहते हैं और राष्ट्र के सामने हर ज्वलंत मुद्दे पर सदन में चर्चा चाहते हैं।

अदाणी, महंगाई, चीन जैसे मुद्दों पर अपना रुख बरकरार रखेगा विपक्ष

गौरतलब है कि विपक्षी दलों की ओर से धनखड़ की कुछ टिप्पणियों को लेकर भी आपत्ति जताई जा रही है। आसार है कि सदन में इसका भी असर दिखेगा। सभापति और उपसभापति की ओर से राहुल गांधी के लंदन में दिए गए बयानों पर जताए गए कड़े एतराज से भी कांग्रेस की भौहें तनी हुई हैं। इसके साथ ही विपक्ष सत्र के पहले चरण में अदाणी, महंगाई, चीन जैसे मुद्दों पर अपने रुख को इस सत्र में भी बरकरार रखेगा।

कांग्रेस नेता के सुरेश ने कहा कि उनकी पार्टी अदाणी-हिंडनबर्ग मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगती रहेगी, क्योंकि वह सोच-समझकर चुप्पी साधे हुए है। प्रमुख विपक्षी दल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच के लिए दबाव बना रहा है।

सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता वित्त विधेयक पारित कराना

संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने रविवार को कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता वित्त विधेयक को पारित कराना है। उन्होंने कहा कि रेलवे, पंचायती राज, पर्यटन, संस्कृति और स्वास्थ्य समेत मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर चर्चा होगी। मतदान कराया जाएगा और उन्हें पारित किया जाएगा। फिर हम वित्त विधेयक को पारित करवाएंगे। उसके बाद हम विपक्ष की मांगों पर गौर करेंगे।

सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2022-23 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांग का दूसरा बैच पेश करेंगी। वह लोकसभा में वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का बजट भी पेश करेंगी।

कांग्रेस ने विपक्षी दलों की बैठक बुलाई, आप और बीआरएस के रुख पर नजर

इस बीच कांग्रेस पार्टी ने भी सभी विपक्षी दलों की सोमवार सुबह राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के संसद भवन स्थित कार्यालय में बैठक बुलाई है। इसमें सरकार को घेरने की सामूहिक रणनीति तैयार होगी। यह देखना रोचक होगा कि कांग्रेस की इस बैठक के प्रति आम आदमी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) का क्या रुख होता है।

कांग्रेस बना कर चल रही है दूरी

दरअसल हाल में कांग्रेस इन दोनों दलों से दूरी बनाकर चल रही है। वह भी तब जबकि दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस पर दबाव बना रही हैं। कांग्रेस ने विपक्षी दलों के उस पत्र पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया था, जिसमें दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब नीति घोटाले में निर्दोष बताते हुए सीबीआइ कार्रवाई का विरोध किया गया था।

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