राहुल गांधी और स्‍मृति इरानी की पहल के बाद भी नहीं मिला दाखिला

केंद्रीय मंत्री स्‍मृति इरानी और राहुल गांधी की कोशिशों के बाद भी एक बच्‍चे को एक स्‍कूल में दाखिला नहीं मिल सका। स्‍कूल ने नियमों का हवाला देकर उसके दाखिले से इंकार कर दिया।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Wed, 24 Aug 2016 03:13 AM (IST) Updated:Wed, 24 Aug 2016 03:49 AM (IST)
राहुल गांधी और स्‍मृति इरानी की पहल के बाद भी नहीं मिला दाखिला

भोपाल (हरेकृष्ण दुबोलिया)। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के वादे और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के पत्र के बाद भी भोपाल की रोशनपुरा झुग्गी बस्ती में रहने वाले 14 वर्ष के कौशल शाक्य का स्कूल में दाखिला नहीं हो पाया। कौशल के जीवन की सच्चाई जो पहले थी वहीं आज भी है। कभी आर्थिक तंगी और कभी नियमों की बंदिश के कारण वह स्कूल जाने के बजाय न्यू मार्केट में एक दुकान पर 150 रुपये दिहाड़ी पर काम करने को मजबूर है।

हालांकि तीन साल में कौशल की मदद का श्रेय लेने राजनीतिक ड्रामा खूब हुआ। शुरुआत राहुल गांधी के वादे से हुई और ड्रामे का अंत केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के गैर प्रभावी पत्र से हुआ। ईरानी के पत्र के बावजूद केंद्रीय विद्यालय ने कौशल को नियमों का हवाला देकर कक्षा 6 में प्रवेश देने से इन्कार कर दिया है। इससे पहले कांग्रेस नेताओं ने उसका दाखिला एक प्राइवेट कान्वेंट स्कूल में कराया था, लेकिन महीने की 3 हजार रुपये फीस भरने की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली और स्कूल ने उसे निकाल दिया।

राहुल को लौटा दिया था एक हजार का नोट

अप्रैल, 2013 में भोपाल आए राहुल गांधी को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के बाहर एक बच्चा (कौशल शाक्य) अखबार बेचता दिखा, राहुल ने अपनी गाड़ी रुकवाई और बच्चे से एक अखबार खरीदा। अखबार के बदले में राहुल ने बच्चे को एक हजार का नोट दिया, लेकिन बच्चे ने नोट लौटाते हुए कहा कि सिर्फ एक रुपये चाहिए। राहुल ने कहा कि पूरे रख लो। बच्चे ने जवाब दिया कि मैं हराम का नहीं खाता।

इसके बाद राहुल गांधी ने बच्चे से पूछा स्कूल जाते हो, बच्चे ने जवाब दिया, इस साल उसने स्कूल छोड़ दिया है, जाना तो चाहता है लेकिन घर की आर्थिक हालत खराब है पिता को कोई काम नहीं मिल रहा, इसलिए अखबार बेचकर घर चलाने के लिए कुछ पैसे कमा लेता हूं। राहुल गांधी ने स्थानीय कांग्रेस नेताओं को बुलाकर बच्चे की आगे की पढ़ाई के लिए मदद करने को कहा।

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