वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म कांड की फास्ट ट्रैक सुनवाई करेगा SC

सुप्रीमकोर्ट ने इस बार के संकेत दिये हैं कि वो साढ़े तीन साल पुराने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सुनवाई के लिए तय समय से ज्यादा देर तक बैठेगा।

By kishor joshiEdited By: Publish:Mon, 11 Jul 2016 11:06 PM (IST) Updated:Tue, 12 Jul 2016 05:36 AM (IST)
वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म कांड की फास्ट ट्रैक सुनवाई करेगा SC

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। साढ़े तीन साल पुराने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म कांड की फास्ट ट्रैक सुनवाई की उम्मीद जगी है। सुप्रीमकोर्ट इस मामले की सुनवाई के लिए तय समय से ज्यादा देर तक बैठेगा। 18 जुलाई से प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को 2 बजे से लेकर 6 बजे तक इस मामले की सुनवाई की जाएगी जबकि अदालत का वक्त 4 बजे समाप्त हो जाता है। सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को इस बात के संकेत दिये।

फांसी की सजा पाए निर्भया कांड के 4 दोषियों मुकेश, पवन, अक्षय और विनय की अपील सुप्रीमकोर्ट में 2014 से लंबित है। कोर्ट के आदेश से फिलहाल चारो की फांसी पर रोक लगी है। 16 दिसंबर 2012 की रात चलती बस में दरिंदों ने 23 वर्षीय निर्भया से सामूहिक दुष्कर्म और अत्याचार किया था जिसके बाद उसकी मृत्यु हो गई थी।

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पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने दो वरिष्ठ वकीलों राजू रामचंद्रन और संजय हेगड़े को न्यायलय का मददगार वकील यानी एमाइक क्यूरी नियुक्त किया था। सोमवार को जब मामला सुनवाई पर आया तो एमाइकस क्यूरी संजय हेगड़े ने कोर्ट से पूरे दिन लंबी सुनवाई करने का अनुरोध किया ताकि समय से फैसला आ सके। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति सी नागप्पन और न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने अनुरोध स्वीकार करते हुए कहा कि वे 18 जुलाई से इस मामले में प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को 2 बजे से 6 बजे तक लगातार सुनवाई करेंगे। बात ये है कि हत्यारों की अपीलों पर सुनवाई कर रही तीन न्यायाधीशों की पीठ रोजाना सुनवाई के लिए नहीं बैठ सकती। पीठ का गठन मुख्य न्यायाधीश तय करते हैं। ऐसे में हेगड़े ने पीठ से अनुरोध किया कि वे ही सुनवाई का समय तय कर दें।

इसके अलावा कोर्ट ने निर्भया के माता पिता को भी मामले में पक्षकार बनने की अनुमति दे दी। इसी दौरान अभियुक्तों के वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट से कहा कि कोर्ट ने अभियुक्तों की ओर से बहस के लिए एमाइकस क्यूरी नियुक्ति किये है जिसकी वजह से संदेश जा रहा है कि अभियुक्तों के वकील सक्षम नहीं है और वे ठीक से बहस नहीं कर पा रहे हैं।

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शर्मा ने इस बावत मीडिया में आयी रिपोर्ट का भी जिक्र किया। इस पर कोर्ट ने साफ किया कि मामले में एमाइकस नियुक्त करने का मतलब ये नहीं है कि अभियुक्तों की ओर से पेश हो रहे वकील सक्षम नहीं है। पीठ ने कहा कि कोर्ट उन लोगों से मामले में बहस करने का हक नहीं छीन रहा है। कई बार अभियुक्तों के वकील होने के बावजूद एमाइक नियुक्त किया जाता है। वे इस मामले कुछ सीखना चाहते हैं इसलिए उन्होंने एमाइकस क्यूरी नियुक्ति किये।

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