सुपरटेक टॉवरों को यथास्थिति रखने का आदेश

सुपरटेक बिल्डर और एपेक्स व सियेना टॉवर में फ्लैट खरीदने वालों को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 40 मंजिला एपेक्स और सियेना टॉवर ढहाने के मामले में फिलहाल यथास्थिति कायम रखने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के आदेश से दोनों टॉवरों के करीब

By Edited By: Publish:Mon, 05 May 2014 05:41 PM (IST) Updated:Mon, 05 May 2014 10:58 PM (IST)
सुपरटेक टॉवरों को यथास्थिति रखने का आदेश

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुपरटेक बिल्डर और एपेक्स व सियेना टॉवर में फ्लैट खरीदने वालों को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 40 मंजिला एपेक्स और सियेना टॉवर ढहाने के मामले में फिलहाल यथास्थिति कायम रखने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के आदेश से दोनों टॉवरों के करीब 800 फ्लैटों पर मंडराता खतरा फिलहाल टल गया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गत 11 अप्रैल को नोएडा के सेक्टर 93-ए स्थित सुपरटेक के टॉवरों एपैक्स और सियेना को अवैध घोषित कर चार महीने में ढहाने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने फ्लैट खरीदारों को 14 फीसद ब्याज सहित रकम लौटाने के साथ ही सुपरटेक के अधिकारियों और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों पर कार्रवाई के भी आदेश दिए थे। सुपरटेक बिल्डर, नोएडा प्राधिकरण व फ्लैट मालिकों ने हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाएं विचारार्थ स्वीकार करते हुए मामले में यथास्थिति कायम रखने के आदेश दिए। कोर्ट ने साफ कहा कि सभी पक्ष बिल्डर, खरीदार व प्राधिकरण दोनों टॉवरों के मामले में यथास्थिति बनाए रखेंगे। वे न तो किसी को संपत्ति से बेदखल करेंगे और न ही संपत्ति में किसी तीसरे पक्ष के अधिकार सृजित करेंगे। सुपरटेक के सीएमडी आरके अरोड़ा ने शीर्ष अदालत के फैसले पर संतोष जताया और कहा कि उनके पास सारी मंजूरियां हैं और उन्हें विश्वास है कि अंत में सुप्रीम कोर्ट उनके हक में फैसला देगा।

इससे पहल याचिका पर बहस करते हुए सुपरटेक की ओर से दलील दी गई कि उसके पास निमार्ण संबंधी सभी मंजूरियां हैं। ऐसे में निर्माण को अवैध नहीं कहा जा सकता। वकील ने बताया कि सुपरटेक को 2009 में भूतल और 11 मंजिल बनाने की अनुमति मिली थी। इसके बाद 2010 में अतिरिक्त एफएआर की मंजूरी मिली और कुल 24 मंजिलों के निर्माण की अनुमति मिल गई। इसके बाद फिर एफएआर बढ़ाया गया और 40 मंजिल बनाने की मंजूरी मिल गई। इन दलीलों पर कोर्ट ने सवाल किया कि जब निर्माण शुरू हुआ तो सिर्फ 11 मंजिल की अनुमति थी तो नीव भी 11 मंजिल के हिसाब से रखी गई होगी। क्या 11 मंजिल की नीव पर 40 मंजिल का निर्माण हो सकता है। इससे लोगों की जान खतरे में नही पड़ेगी। इस पर कंपनी के वकील ने कहा कि उन्हें मालूम था कि 40 मंजिल की अनुमति मिल जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 40 मंजिल तक निर्माण की अनुमति देने में प्राधिकरण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर प्राधिकरण की इसमें मिलीभगत है तो परिणाम भी उसे ही भुगतने होगे। अगर हाई कोर्ट का आदेश बरकरार रहता है और टावर ढहाए जाते हैं तो ढहाने का खर्च उसे ही उठाना पड़ेगा। हालांकि पीठ ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट का यह कहना कि टॉवर पूरी तरह गैर कानूनी हैं ठीक नहीं है। यहां पर मुद्दा सिर्फ 9, 11, 24 और 40 मंजिल का है।

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