पुलिस मुठभेड़ों की जांच तक किसी को न दी जाए पदोन्नति: सुप्रीम कोर्ट

पुलिस मुठभेड़ों पर अहम फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि इनकी जांच राज्य की सीआइडी या अन्य पुलिस स्टेशन की पुलिस से जांच कराई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि जब तक मुठभेड़ असली साबित न हो जाए, तब तक किसी भी पुलिस अधिकारी या कर्मी को पदोन्नति नहीं दी जानी चाहिए।

By Edited By: Publish:Tue, 23 Sep 2014 11:45 AM (IST) Updated:Tue, 23 Sep 2014 02:50 PM (IST)
पुलिस मुठभेड़ों की जांच तक किसी को न दी जाए पदोन्नति: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। पुलिस मुठभेड़ों पर अहम फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि इनकी जांच राज्य की सीआइडी या अन्य पुलिस स्टेशन की पुलिस से जांच कराई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि जब तक मुठभेड़ असली साबित न हो जाए, तब तक किसी भी पुलिस अधिकारी या कर्मी को पदोन्नति नहीं दी जानी चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी की याचिका पर कहा कि मानवाधिकार संस्थाओं [एनएचआरसी] को पुलिस मुठभेड़ों के सभी मामलों में तब तक हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, जब तक उस मुठभेड़ के फर्जी होने की प्रबल आशंका न हो। सवोच्च्च न्यायालय ने कहा कि मुठभेड़ के बाद उसकी एफआईआर तुरंत मजिस्ट्रेट के पास भेजी जानी चाहिए। यदि किसी को शिकायत है कि मुठभेड़ फर्जी है तो एक मामला सत्र न्यायालय में दायर किया जा सकता है।अदालत ने मुठभेड़ में इस्तेमाल हथियारों को तत्काल जमा कराए जाने के भी निर्देश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस

* मुठभेड़ के बाद सीआरपीसी की धारा 176 के तहत मजिस्ट्रेट स्तर की जांच तुरंत शुरू हो।

* मुठभेड़ के बाद पुलिसकर्मी तुरंत अपने हथियार जमा करवाएं।

* मुठभेड़ के बाद सीआइडी या अलग पुलिस स्टेशन इसकी स्वतंत्र जांच करें।

* मुठभेड़ के तुरंत बाद पुलिसकर्मियों या अधिकारियों को पुरस्कार या पदोन्नति न दी जाए।

* मुठभेड़ किस आधार पर किया गया है पुलिस को इसका खुलासा करना होगा।

* मुठभेड़ के फर्जी होने के शक पर सत्र अदालत में शिकायत दर्ज की जा सकती है।

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