सारधा घोटाला जांचेगी सीबीआइ

लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से ठीक पहले पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। अदालत ने शुक्रवार को 2,640 करोड़ रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले की सीबीआइ जांच का आदेश सुनाया। घोटाले का सबसे ज्यादा असर पश्चिम बंगाल, ओडिशा व असम के निवेशकों पर पड़ा था।

By Edited By: Publish:Fri, 09 May 2014 11:15 AM (IST) Updated:Sat, 10 May 2014 02:39 AM (IST)
सारधा घोटाला जांचेगी सीबीआइ

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से ठीक पहले पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। अदालत ने शुक्रवार को 2,640 करोड़ रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले की सीबीआइ जांच का आदेश सुनाया। घोटाले का सबसे ज्यादा असर पश्चिम बंगाल, ओडिशा व असम के निवेशकों पर पड़ा था। कांग्रेस, वामो सहित अन्य दल लंबे समय से मामले की सीबीआइ जांच की मांग कर रहे थे, जबकि बंगाल की सत्तासीन तृणमूल कांग्रेस इसके विरोध में थी।

जस्टिस टीएस ठाकुर की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि मामला एक से अधिक राज्यों से जुड़ा है, लिहाजा इसे राज्य के प्रशासन से हटाकर सीबीआइ को सौंपा जाए। साथ ही अब तक घोटाले की जांच में कुछ भी सामने नहीं आया है, इसलिए भी इसकी जांच सीबीआइ से कराना जरूरी है। इस फैसले से ममता के विरोधियों को भी उनके खिलाफ नया हथियार मिल गया है। गौरतलब है कि अंतिम चरण में बंगाल की जिन 17 सीटों पर चुनाव होना है, उसमें से 16 पर अब तक तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में प्रवर्तन निदेशालय को भी निर्देशित किया कि चिटफंड घोटाले में शामिल कंपनियों की त्वरित जांच कराई जाए। अदालत ने राज्य सरकार से सीबीआइ को जांच में सहयोग के साथ सभी जानकारियां उपलब्ध कराने को कहा है। अदालत ने ये फैसला एक जनहित याचिका पर सुनाया, जिसमें देशभर में चल रहे चिटफंड व्यवसाय को रोके जाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने बताया था कि उसे पुलिस प्रक्रिया पर भरोसा नहीं है, लिहाजा करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच सीबीआइ से कराई जाए। सीबीआइ जांच के आदेश का स्वागत करते हुए वामदलों ने कहा कि अब घोटाले से राजनीतिक जाल हट सकेगा। मामले में अब तक सारधा ग्रुप के चेयरमैन सुदीप्त सेन उनकी पत्नी व बेटे से पूछताछ हो चुकी है। तृणमूल कांग्रेस के निलंबित राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष से भी घोटाले की बाबत पूछताछ की गई है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने भी बंगाल की रैलियों में सारधा कांड को लेकर ममता पर आरोप लगाए थे।

सीबीआइ की निष्पक्ष भूमिका पर सवाल

कोलकाता। अदालत के फैसले के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआइ की निष्पक्ष भूमिका पर सवाल उठाया। कहा, 2011 के नेताई कांड का सीबीआइ कोई हल नहीं निकाल सकी, राज्य की सीआइडी ने आरोपियों को गिरफ्तार किया। क्या सीबीआइ निष्पक्ष होगी, उसका बाबा कौन है, इसे बताने की जरूरत नहीं? लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हमारी जिम्मेदारी खत्म हो गई। निवेशकों को पैसा नहीं मिला तो वे भाजपा, माकपा व कांग्रेस नेताओं के घर-घर जाकर वसूल करेंगे। हमने अब तक साढ़े चार लाख जमाकर्ताओं का पैसा लौटाया। बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्रा ने भी अदालत के फैसले का स्वागत किया है।

सारधा मामले पर प्रतिक्रिया

'कांग्रेस शुरू से मामले की सीबीआइ जांच के पक्ष में थी। जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है।' -शशि थरूर, कांग्रेस प्रवक्ता

'ऐसे फैसले की लंबे समय से प्रतीक्षा थी। घोटाले की सीबीआइ जांच से पीड़ितों को न्याय मिलेगा।' -तरुण गोगोई, मुख्यमंत्री, असम

'सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है। तृणमूल कांग्रेस की मंशा बुरी तरह उजागर हो चुकी है।' -प्रकाश जावड़ेकर, भाजपा प्रवक्ता

'घोटाले की सीबीआइ जांच में प्रदेश सरकार पूरी मदद करेगी।' -प्रसन्ना आचार्य, वित्तमंत्री ओडिशा

'सीबीआइ जांच के बाद सच्चाई सामने आएगी। अब किसी भी आरोपी के बचने की संभावना नहीं है।' -दीपा दासमुंशी, केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री

'सीबीआइ जांच से चिटफंड मामले से जुड़े नेता व मंत्री की गिरफ्तारी संभव है। इसमें पुलिस के कई अधिकारियों की भी मिलीभगत थी।' -सुजन चक्रवर्ती, माकपा नेता

'सीबीआइ जांच से हमारी जिम्मेदारी खत्म हो गई है। अब निवेशकों के रुपये नहीं लौटने पर उनका मुंह काला होगा।' -ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल।

चिटफंड कंपनिया कैसे काम करती हैं, कैसे लोगों को लुभाती हैं और क्या होता है उनके काम करने का तरीका

चिट फंड एक्ट 1982 के मुताबिक चिट फंड स्किम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का ग्रुप एक साथ समझौता करे। इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाए। और तय वक्त पर उसकी नीलामी की जाए। जो फायदा हो बाकी लोगों में बांट दिया जाए। इसमें बोली लगाने वाले शख्स को पैसे लौटाने भी होते हैं। नियम के मुताबिक ये स्कीम किसी संस्था या फिर व्यक्ति के जरिए आपसी संबंधियों या फिर दोस्तों के बीच चलाया जा सकता है।

लेकिन आम तौर पर ऐसा होता नहीं है। ये चिट फंड स्कीम कब पॉन्जी स्कीम में बदल जाती है कोई नहीं जानता है। आम तौर पर चिट फंड कंपनियां इस काम को मल्टीलेवल मार्केटिंग में तब्दील कर देती हैं। मल्टीलेवल मार्केटिंग यानि अगर आप अपने पैसे जमा करते हैं साथ ही अपने साथ और लोगों को भी पैसे जमा करने के लिए लाते हैं तो मोटे मुनाफे का लालच। ऐसा ही बाजार से पैसा बटोरकर भागने वाली चिट फंड कंपनियां भी करती हैं। वो लोगों से उनकी जमा पूंजी जमा करवाती हैं। साथ ही और लोगों को भी लाने के लिए कहती हैं।

बाजार में फैले उनके एजेंट साल, महीने या फिर दिनों में जमा पैसे पर दोगुने या तिगुने मुनाफे का लालच देते हैं। सारधा ग्रुप ने ही महज 4 सालों में पश्चिम बंगाल के अलावा झारखंड, उड़ीसा और नॉर्थ ईस्ट राज्यों में भी अपने 300 ऑफिस खोल लिए। यही नहीं जानकारों की माने तो बाजार में उसके दो लाख एजेंट हैं।

पढ़ें: सारधा कांड में सुदीप्त की पत्नी- बेटा भी गिरफ्तार

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