राजनीति से परे हटकर की जाए अफगान अवाम की मदद, जयंशकर ने चीन और रूस को साथ आने का किया आह्वान
जयशंकर ने कहा अफगानिस्तान का पड़ोसी और लंबे समय से सहयोगी होने के नाते भारत की वहां की स्थितियों को लेकर चिंताएं हैं। हाल के महीनों में वहां पर जो हुआ उसे लेकर भारत के मन में आशंकाएं हैं।
नई दिल्ली, एजेंसी। अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराने में किसी तरह की हिचक या राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्हें पूरी ईमानदारी से मदद दी जानी चाहिए। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस, भारत और चीन (आरआइसी) की विदेश मंत्री स्तर की आभासी (वर्चुअल) बैठक में कही है। विदेश मंत्री ने कहा, तीनों देशों को मिलकर अफगानिस्तान से जुड़ी आतंकवाद, कट्टरपंथ और नशीले पदार्थो की तस्करी की समस्या से निपटना चाहिए लेकिन मानवीय सहायता से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।
जयशंकर की अध्यक्षता में हुई बैठक में उनके चीनी समकक्ष वांग ई और रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव भी मौजूद थे। जयशंकर ने कहा, अफगानिस्तान का पड़ोसी और लंबे समय से सहयोगी होने के नाते भारत की वहां की स्थितियों को लेकर चिंताएं हैं। हाल के महीनों में वहां पर जो हुआ, उसे लेकर भारत के मन में आशंकाएं हैं। बावजूद इसके भारत अफगान अवाम की मदद करना चाहता है। भारत अफगानिस्तान की समावेशी और प्रतिनिधि सरकार का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्प 2593 के प्रविधानों के अनुसार समर्थन करेगा।
50 हजार मीट्रिक टन गेहूं और जीवनरक्षक दवाएं भेज रहा भारत
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, अफगान लोगों की बेहतरी के लिए भारत वहां 50 हजार मीट्रिक टन (पांच लाख क्विंटल) गेहूं और जीवनरक्षक दवाएं भेज रहा है। ये सामग्री वहां पर सूखे की स्थिति से त्रस्त लोगों को राहत देगी। आरआइसी के तीनों सदस्य देशों की जिम्मेदारी है कि वे राजनीति को परे रखते हुए अफगानिस्तान की मानवीय आधार पर मदद के लिए आगे आएं। भारत इस मदद को संभव बनाने के लिए आरआइसी के ढांचे में प्रयास जारी रखेगा।
जयशंकर ने कहा- व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान और तकनीक के आपसी सहयोग से दुनिया में विकास, शांति और स्थिरता को ब़़ढावा मिलता है। आरआइसी के तीनों सदस्य देश आपसी, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मसलों से जुड़े हितों पर विदेश मंत्री स्तर की वार्ता करते हैं। सितंबर 2020 में मास्को में हुई शारीरिक उपस्थिति वाली वार्ता में भारत को इस गठजोड़ की अध्यक्षता मिली थी।