मुंह के कैंसर में असरदार है रोबोटिक सर्जरी

शुरुआती स्टेज के कैंसर में ऑपरेशन के बाद कीमोथेरेपी की जरूरत नही...

By Srishti VermaEdited By: Publish:Fri, 26 May 2017 09:57 AM (IST) Updated:Fri, 26 May 2017 09:57 AM (IST)
मुंह के कैंसर में असरदार है रोबोटिक सर्जरी
मुंह के कैंसर में असरदार है रोबोटिक सर्जरी

राज्य ब्यूरो (नईदिल्ली)। मुंह वगले से जुड़े कैंसरके इलाज मेंरोबोटिक सर्जरीज्यादा असरदारहै। रोबोटिक सर्जरी के बाद मरीजों कोरेडिएशन व कीमोथेरेपी की जरूरत भी नहींपड़ती। गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल, रिसर्च, इंस्टीट्यूट (एफएमआरआइ) द्वारा किए गए शोध में यह बात सामने आई है। शोध में पाया गया है कि मुंह व गले से जुड़े कैंसर शुरूआती स्टेज में हो तो 89.6 फीसद मरीज रोगमुक्त जो जाते हैं। यह शोध हाल ही में ओरल ऑन्कोलॉजी नामक अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है।

फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों ने यह शोध तंबाकू के सेवन के चलते कैंसर से पीड़ित होने वाले मरीजों पर किया है। अस्पताल के डॉक्टरों का दावा है कि दुनिया में इस तरह का यह पहला शोध है। अस्पताल के मुंह व गले के कैंसर की सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. सुरेंद्र डबास ने कहा कि भारत में तंबाकू उत्पादों के सेवन के चलते मुंह व गले का कैंसर अधिक लोगों को होता है। जबकि विदेशों में एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस) के संक्रमण से लोगों को यह बीमारी होती है। भारत में करीब 40 फीसद मरीज मुंह व गले के कैंसर से पीड़ित होते हैं। हालांकि देश में एचपीवी वायरस के कारण लोग मुंह व गले के कैंसर से अधिक पीड़ित नहीं होते।

पहले इस कैंसर के इलाज के दो विकल्प मौजूद थे। जिसमें ओपन सर्जरी के बाद रेडिएशन व कीमोथेरेपी देना शामिल था। इस कैंसर सर्जरी में ओपन सर्जरी बेहद मुश्किल है। क्योंकि मुंह में इतनी जगह नहीं होती कि हाथ से सर्जरी कर सकें। ऐसे में ऑपरेशन करने पर रक्तस्राव अधिक होता था। मरीजों को भोजन के लिए अलग से ट्यूब लगानी पड़ती थी। इस वजह से मरीज ठीक से बोल भी नहीं पाते थे और उन्हें खाने-पीने में भी दिक्कत होती थी। रेडिएशन व कीमोथेरेपी में भी मरीजों को काफी दर्द झेलना पड़ता था।

कैंसर दोबारा होने की आशंका भी अधिक होती थी। उन्होंने कहा देश में पहली बार फोर्टिस में मार्च 2013 में मुंह व गले के कैंसर के इलाज के लिए रोबोटिक सर्जरी शुरू हुई। अक्टूबर 2015 तक सर्जरी किए गए 57 मरीजों पर अध्ययन किया गया। उन मरीजों को ऑपरेशन के बाद ढ़ाई साल तक निगरानी की गई। जिसमें ज्यादातर मरीजों को दोबारा कैंसर नहीं हुआ। कुछ मरीजों को दोबारा ऑपरेशन करने पड़े। रोबोटिक सर्जरी के बाद 93.8 फीसद मरीजों का जीवन बच गया। इस तकनीक से फोर्टिस में 500 सर्जरी हो चुकी है। एम्स में भी इस तकनीक से सर्जरी शुरू हो चुकी है।

क्या है रोबोटिक सर्जरी
सर्जरी में इस्तेमाल होने वाली रोबोट मशीन में चार आर्म होते हैं। डॉक्टर कंप्यूटर के जरिये रोबोट का संचालन करते हैं। हालांकि मुंह व गले के कैंसर में रोबोटिक मशीन के तीन आर्म का ही इस्तेमाल होता है। बीच वाले आर्म में कैमरा होता है। जो स्क्रीन पर ट्यूमर प्रभावित हिस्से की तस्वीर भेजता है। डॉक्टर तस्वीर को देखकर रोबोटिक मशीन के दो आर्म का इस्तेमाल मुंह व गले के कैंसर में करते हैं। एक सप्ताह में मरीज ठीक हो जाता है।

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